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बॉब्‍स पुरस्‍कार: ये हैं विजेता।

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जी हां, महीने भर से चल रहा इंतजार समाप्‍त हो गया है। डॉयचे वेले ने सभी श्रेणियों में विजेताओं की घोषणा कर दी है। घोषित सूची के अनुसार चुने गये विजेता हिन्‍दी ब्‍लॉगों का विवरण इस प्रकार है:

:सबसे रचनात्‍मक: 
सर्प संसार (यूजर विजेता)
मी एण्‍ड माई शैडो (जूरी विजेता)

:हिन्‍दी का सर्वश्रेष्‍ठ ब्‍लॉग: 
तस्‍लीम (यूजर विजेता)
इस श्रेणी में किसी को जूरी विजेता नहीं चुना गया

:बेस्‍ट इनोवेशन: 
शिक्षक (यूजर विजेता) 
फ्री वेइबो (जूरी विजेता)

:हिन्‍दी में फॉलो करने लायक बेहतरीन व्‍यक्ति: 
दुधवा लाइव (यूजर विजेता)

सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई। 

'तस्‍लीम'एवं 'सर्प संसार'को वोट करने वाले सभी मित्रों का हार्दिक आभार। आशा है आपका यह स्‍नेह भविष्‍य में भी बना रहेगा। 

पुरस्‍कारों की पूरी सूची देखने के लिए कृपया यहां परक्लिक करें। 
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ऑनलाइन हिंदी समाचारपत्र।

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इंटरनेट पर प्रकाशित होरहे देश-विदेश के समस्त ऑनलाइन हिन्दी अखबारों का संकलन। 

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दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय में पटकथा लेखन पुस्‍तक का चयन।

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बेशक एक लेखक अपनी चेतना और वैचारिकता के बल पर ही अपनी लेखनी को नए आयाम देता है। लेकिन बावजूद इसके अच्छा और प्रभावी लेखन उसकी मनमर्जी से नहीं हुआ करता। यही कारण है कि अपनी सारी उम्र कलम घिसने के बाद भी अगर व्यक्ति अपने जीवन में एक सार्थक और उपयोगी कृति रच पाए, तो शायद उसकी लेखनी धन्य हो जाती है। और मुझे लग रहा है कि 'हिन्दी में पटकथा लेखन'पुस्तक मेरे जीवन में कुछ—कुछ ऐसी ही भूमिका निभाने वाली है।

Samay ke par-Vaigyanik Bal Upanyas
यूं तो अब तक मेरी कुल जमा 65 पुस्तकेंप्रकाशित हो चुकी हैं, पर इनमें से कितनी किसको भाईं, यह मुझे नहीं पता। हालांकि विज्ञान कथा पर आधारित मेरा लघु बाल उपन्यास 'समय के पार'पुरस्कारों/सम्मानों की दृष्टि से बहुत लकी साबित हुआ है, पर मुझे लगता है मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक 'हिन्दी में पटकथा लेखन'सिद्ध होने जा रही है और यह अपनी उपयोगिता के बल पर मुझे लगातार चमत्कृत करती जा रही है।


Hindi men patkatha lekhan bookवर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ की एक फेलोशिप के तहत लिखी गयी 'हिन्दी में पटकथा लेखन'पुस्तक वर्ष 2009 में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्‍दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से हिन्दी संस्‍थान से प्रकाशित हुई थी। संयोग से अपने प्रकाशन के साथ ही यह पुस्तक पाठकों के बीच काफी लोकप्रियसिद्ध हुई और बिना किसी प्रचार—प्रसार के संस्थान की सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तकों में शामिल हो गयी। बिना किसी प्रचार—प्रसार के बावजूद पुस्तक का प्रथम संस्करण समाप्त हो गया है और वर्तमान में इसका दूसरा संस्करण प्रकाशनाधीन है।

patkatha lekhan aur copy writing
लेकिन इससे भी धमाकेदार बात यह है कि 'हिन्दी में पटकथा लेखन'पुस्तक दिल्ली विश्वविद्यालय (University Of Delhi) के चार वर्षीय हिन्दी पत्रकारिता एवं जनसंचार स्नातक पाठ्यक्रम (4 Year Under Graduate Program in Hindi Patrakarita) में आवश्यक अध्ययन सामग्री के रूप में चुनी गयी है। जुलाई, 2013 से प्रारम्भहुए इस नए कोर्स के अनुप्रयुक्त पाठ्यक्रम (ACAPPLIED COURSES) के अन्तर्गत यूं तो प्रश्न पत्र—2 'पटकथा लेखन और कॉपी राइटिंग'में कुल 6 पुस्तकों का चयन हुआ है, जिसमें चर्चित कथा लेखिका मन्नू भंडारीकी पुस्तक 'कथा पटकथा', प्रख्यात कथाकार एवं पटकथाकार मनोहर श्याम जोशीकी पुस्तक 'पटकथा लेखन'एवं चर्चित उपन्यासकार असगर वजाहतकी पुस्तक 'टेलिविजन लेखन'भी शामिल हैं। पर आश्चर्यजनक रूप से मेरी पुस्तक को इस सूची में वरीयता क्रम में प्रथम स्थान प्रदान किया गया है।

मित्रो, निश्चय ही यह सब आप सबकी दुआओं का ही सिला है, वर्ना मैंने तो ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोचा था।
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Class 1 NCERT/CBSE Hindi Book-Rimjhim-1
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Class 3rdnd NCERT Urdu Book Ibtedai Urdu

Class 2nd NCERT/CBSE Text Books
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Class 3rd NCERT/CBSE Text Books
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Class 4th NCERT Book Invironmental Studies Looking Around

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Class 5th NCERT Book Ganit ka Jadu
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Class 6th NCERT Sanskrit Book Ruchira
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SANSKRIT:cbse sanskrit textbook for class 6, ncert books in sanskrit for class 6
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SANSKRIT:cbse sanskrit textbook for class 7, ncert books in sanskrit for class 7
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SCIENCE: cbse science textbook for class 7, ncert books in science for class 7

SOCIAL SCIENCE:cbse social science textbook for class 7, ncert books in social science for class 7
Itihas-Hamare Atit-2 (इतिहास: हमारे अतीत-2) (Direct Download)  
Samajik Evam Rajnitik Jeevan-2 (सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-2) (Direct Download
Bhugol-Hamare Paryavaran (भूगोल-हमारा पर्यावरण) (Direct Download)  
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URDU:cbse urdu textbook for class 7, ncert books in urdu for class 7
Apni Zuban-7(اپنی زبان) (Direct Download)
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Class 8th NCERT Book Bharat ki Khoj
Class 8th NCERT/CBSE Text Books
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MATHMATICS: cbse mathmatics textbook for class 8, ncert books in mathmatics for class 8
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SOCIAL SCIENCE:cbse social science textbook for class 8, ncert books in social science for class 8
Sansadhan aur Vikas (Bhugol) (संसाधन और विकास-भूगोल) (Direct Download)  
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NCERT Book Democratic Politics
Class 9th NCERT/CBSE Text Books
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HINDI:cbse hindi textbook for class 9, ncert books in hindi for class 9
Kshitij-1(क्षितिज-1) (Direct Download
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MATHMATICS: cbse mathmatics textbook for class 9, ncert books in mathmatics for class 9
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SCIENCE:cbse science textbook for class 9, ncert books in science for class 9
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SOCIAL SCIENCE:cbse social science textbook for class 9, ncert books in social science for class 9
Loktantrik Rajniti (लोकतांत्रिक राजनीति) (Direct Download)  
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Barat Aur Samkalin Vishwa-1 (भारत और समकालीन विश्‍व-1) (Direct Download)
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Gulzare-e-urdu(گلزاریردو) (Direct Download)
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Class 10th NCERT Book Economics Development
Class 10th NCERT/CBSE Text Books
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MATHMATICS:cbse mathmatics textbook for class 10, ncert books in mathmatics for class 10
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Ganit Prasna Pradarshika-10(गणित प्रश्‍न प्रदर्शिका-10) (Direct Download
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SANSKRIT: cbse sanskrit textbook for class 10, ncert books in sanskrit for class 10
Shemushi-2(शेमुषी-2) (Direct Download PDF Format)

SCIENCE:cbse science textbook for class 10, ncert books in science for class 10
Science-10 (Direct Download)
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Science: Lab Manual-Hindi (विज्ञान: प्रयोगशाला पुस्तिका) (Direct Download)
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SOCIAL SCIENCE:cbse social science textbook for class 10, ncert books in social science for class 10
Loktantrik Rajniti-2 (लोकतांत्रिक राजनीति-2) (Direct Download)  
Samkalin Bharat-2 (समकालीन भारत-2) (Direct Download
Arthik Vikas ki Samajh(आर्थिक विकास की समझ) (Direct Download)
Barat Aur Samkalin Vishwa-2 (भारत और समकालीन विश्‍व-1) (Direct Download)
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URDU: cbse urdu textbook for class 10, ncert books in urdu for class 10
Gulzare-e-urdu(گلزاریردو) (Direct Download)
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Class 11th NCERT Book Themes in World History
Class 11th NCERT/CBSE Text Books
(cbse books for class 11, cbse class 11 books, ncert books for class 11, ncert class 11 books)
ACCOUNTANCY:cbse accountancy textbook for class 11, ncert books in accountancy for class 11
Financial Accounting-1(Direct Download PDF Format)
Accountancy-2(Direct Download PDF Format)
Lekhashastra-1 (लेखाशास्‍त्र-1) (Direct Download)
Lekhashastra-2(लेखाशास्‍त्र-2) (Direct Download)
Khatadari-1 (ختداری)(Direct Download PDF Format)

BIOLOGY: cbse biology textbook for class 11, ncert books in biology for class 11
Biology: Exemplar Problem(English) (Direct Download)
Jeev Vigyan-11(जीव विज्ञान) (Direct Download)
Biology: Exemplar Problem(Hindi)(जीव विज्ञान प्रश्‍न प्रदर्शिका) (Direct Download)
Biology Urdu Part-1(حیاتیات) (Direct Download

BUSINESS STUDIES: cbse business studies textbook for class 11, ncert books in business studies for class 11
Vyavsay Adhyanan (व्‍यवसाय अध्‍ययन) (Direct Download

CHEMISTRY:cbse chemistry textbook for class 11, ncert books in chemistry for class 11
Chemistry Exemplar Problem(Hindi)(रसायनप्रश्‍न प्रदर्शिका) (Direct Download
Chemistry Lab Manual(Hindi)(रसायनप्रयोगशाला पुस्तिका) (Direct Download)
cbse  textbook for class 11, ncert books in  for class 11
COMPUTERS AND COMMUNICATION TECHNOLOGY
Computers and Communication Technology-1(Direct Download)

COMPUTER SCIENCE:cbse computer science textbook for class 11, ncert books in computer science for class 11
Python Class 11 

ECONOMICS:cbse economics textbook for class 11, ncert books in economics for class 11
Bhartiya Airthvavstha Ka Vikash(भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का विकास) (Direct Download
Hindustan ki Moaashi Taraqqi (ہندوستان کی معاشی تراققی) (Direct Download
Shumariyaat Bar-e-Mushiyat (شماریات بارے مشیت) (Direct Download)

ENGLISH: cbse english textbook for class 11, ncert books in english for class 11
Snapshots Suppl. Reader English (Direct Download)

FINE ART:cbse fine art textbook for class 11, ncert books in fine art for class 11
An Introduction to Indian Art(Direct Download)

GEOGRAPHY:cbse geography textbook for class 11, ncert books in geography for class 11
Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant (भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत) (Direct Download)
Bhugol Main Prayogatmak Karya(भूगोल में प्रयोगात्‍मक कार्य)  (Direct Download
Bhart: Bhautik Paryavaran(भारत: भौतिक पर्यावरण) (Direct Download

GRAPHICS DESIGN:cbse graphic design textbook for class 11, ncert books in graphic design for class 11
The Story of Graphic Design (Direct Download
Graphics Design ek Kahani(ग्राफिक्‍स डिजाइन एक कहानी) (Direct Download)

HINDI:cbse hindi textbook for class 11, ncert books in hindi for class 11
Antra-1(अंतरा-1) (Direct Download
Aroh-1(आरोह-1) (Direct Download)  
Vyavharik Hindi-1(व्‍यवहारिक हिन्‍दी-1) (Direct Download)
Vitan-1(वितान-1) (Direct Download
Antral-1(अंतराल-1) (Direct Download)  
Abhivyakti aur Madhyam-1(अभिव्‍यक्ति और माध्‍यम-1) (Direct Download)

HISTORY: cbse history textbook for class 11, ncert books in history for class 11
Vishva Itihas ke kuchh Vishay(विश्‍व इतिहास के कुछ विषय) (Direct Download

HERITAGE CRAFTS:cbse heritage craft textbook for class 11, ncert books in heritage craft for class 11
Living Craft Traditions of India (Direct Download)
cbse knowledge tradition and practices of india textbook for class 11, 
KNOWLEDGE TRADITION AND PRACTICES OF INDIABooks for Class 11th
Module 1: Astronomy in India
Module 2: Chemistry in India
Module 3: Indian Literatures Part 1
Module 3: Indian Literatures Part 2
Module 4: Indian Philosophical Systems
Module 5: Indian Traditional Knowledge on Environmental Conservation
Module 6: Life Sciences (1) Ayurveda for Life, Health and Well-being - Part 1
Module 6: Life Sciences (2) The Historical Evolution of Medical Tradition in Ancient India - Part 2
Module 6: Life Sciences (3) Plant and Animal Sciences in Ancient India - Part 3
Module 7: Mathematics in India
Module 8: Metallurgy in India
Module 9: Music in India
Module 10: Theatre and Drama in India


LANGUAGES: cbse language textbook for class 11, ncert books in language for class 11

French : Entre Jeunes - Learn more of french

LEGAL STUDIES: cbse legal studies textbook for class 11, ncert books in legal studies for class 11

Unit 01. Theory and Nature of Political Institutions
Unit 02. Nature and Sources of Laws
Unit 03. Historical Evolution Of The Indian Legal System
Unit 04. Judiciary - Constitutional, Civil and Criminal Courts And Processes
Unit 05. Family Justice System

 
MATHMATICS:cbse mathmatics textbook for class 11, ncert books in mathmatics for class 11
Ganit-11(गणित-11) for Hindi Medium (Direct Download
Ganit Prasna Pradarshika-11(गणित प्रश्‍न प्रदर्शिका-11) (Direct Download
 
PHYSICS: cbse physics textbook for class 11, ncert books in physics for class 11
Physics Exemplar Problem(Hindi)(भौतिकी प्रश्‍न प्रदर्शिका) (Direct Download
PhysicsLab Manual(Hindi)(भौतिकी प्रयोगशाला पुस्तिका) (Direct Download)

POLITICAL SCIENCE: cbse political science textbook for class 11, ncert books in political science for class 11
Bharat ka Samvidhan Sidhant aur Vyavhar(भारत का संविधान सिद्धांत और व्‍यवहार) (Direct Download

PSYCHOLOGY: cbse psychology textbook for class 11, ncert books in psychology for class 11
Psychology (Direct Download)
Manovigyan (मनोविज्ञान) (Direct Download)

SANSKRIT: cbse sanskrit textbook for class 11, ncert books in sanskrit for class 11
Bhaswati-1(भास्‍वती-1) (Direct Download)
Shashwati-1(शाश्‍वती-1) (Direct Download)

SOCIOLOGY: cbse sociology textbook for class 11, ncert books in sociology for class 11
Introducing Sociology(Direct Download)
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Samajshastra Parichay-1(समाजशास्‍त्र परिचय-1) (Direct Download)
Samaj ka Bodh(समाज का बोध) (Direct Download

STATISTICS: cbse statistics textbook for class 11, ncert books in statistics for class 11
Statistics for Economics(Direct Download)
Sankhyiki(सांख्यिकी) (Direct Download)
Shumariyat Bara-e-Mushaiat(شماریات براۓ-مشیت) (Direct Download)
 
URDU:cbse urdu textbook for class 11, ncert books in urdu for class 11
Gulistan-e-Adab(گلستانےادب) (Direct Download)
Khayaban-e-Urdu(خیابانےاردو) (Direct Download)


Class 12th NCERT Book Social Change and Development in India
Class 12th NCERT/CBSE Text Books
(cbse books for class 12, cbse class 12 books, ncert books for class 12, ncert class 12 books)
ACCOUNTANCY:cbse accountancy textbook for class 12, ncert books in accountancy for class 12
Accountancy-12 Part-1 (Not for Profit Organization and Partnership Accounts) (Direct Download)
Accountancy-12 Part-2 (Company Accounts and Analysis of Financial Statements) (Direct Download)
Lekhashastra-12 Part-1 (लेखाशास्‍त्र-1: अलाभकारी संस्‍थाएं एवं साझेदारी खाते) (Direct Download)
Lekhashastra-12 Part-2 (लेखाशास्‍त्र-2: कंपनी खाते एवं वित्‍तीय विवरणों का विश्‍लेषण) (Direct Download)
Khatadari-12 (ختداری) (Direct Download PDF Format)

BIOLOGY:cbse biology textbook for class 12, ncert books in biology for class 12
Biology-12 (Direct Download)
Biology: Lab Manual (Direct Download)
Biology: Exemplar Problem (Direct Download)
Jeev Vigyan-12 (जीव विज्ञान-12) (Direct Download)

BUSINESS STUDIES:cbse business studies textbook for class 12, ncert books in business studies for class 12
Business Studies-1(Direct Download)
Business Studies-2 (Direct Download)
Vyavasai Adhyan-1(व्‍यवसायी अध्‍ययन) (Direct Download)
Vyavasai Adhyan-2(व्‍यवसायी अध्‍ययन) (Direct Download)
Karobari Uloon  (کاروباری علوم) (Direct Download

CHEMISTRY:cbse chemistry textbook for class 12, ncert books in chemistry for class 12
Chemistry Part-1 (Direct Download)
Chemistry Part-2 (Direct Download)
Chemistry Exemplar Problem(English) (Direct Download)
Chemistry Lab Manual(English) (Direct Download)
Rasayan Vigyan Bhag-1 (रसायन विज्ञान-1) (Direct Download)
Rasayan Vigyan Bhag-2 (रसायन विज्ञान-2) (Direct Download)
Chemistry Exemplar Problem(Hindi) (रसायन प्रश्‍न प्रदर्शिका) (Direct Download)
Chemistry Lab Manual(Hindi) (रसायन प्रयोगशाला पुस्तिका) (Direct Download)

COMPUTER SCIENCE:cbse computer science textbook for class 12, ncert books in computer science for class 12
Python Class 12 

ECONOMICS:cbse economics textbook for class 12, ncert books in economics for class 12
Introductory Microeconomics (Direct Download)
Introductory Macroeconomics(Direct Download
Samashty Arthshastra Ek Parichay(समष्टि अर्थशास्‍त्र एक परिचय) (Direct Download)
Vyashthi Arthshasrta Ek Parichay (व्‍यष्टि अर्थशास्‍त्र एक परिचय) (Direct Download
Juzvi Maasyat ka Taarruph  (جزوی معصیت کا تاررف) (Direct Download

ENGLISH:cbse english textbook for class 12, ncert books in english for class 12
Kaliedoscope(Direct Download)
Flamingo (Direct Download)
Vistas Suppl. Reader English (Direct Download)

FASHION STUDIES:cbse fashion studies textbook for class 12, ncert books in fashion studies for class 12

Text Book
Practical Manual
Class 11 & 12 : Teacher Resource Manual

 
GEOGRAPHY: cbse geography textbook for class 12, ncert books in geography for class 12
Fundamentals of Human Geography (Direct Download)
Practical Work in Geography Part-2 (Direct Download)
India- People And Economy (Direct Download)
Manav Bhugol Ke Mool Sidhant(मानव भूगोल के मूल सिद्धांत) (Direct Download)
Bhogol main Peryojnatmak karye (भूगोल में प्रयोजनात्‍मक कार्य) (Direct Download)
Bharat Log Aur Arthvyasastha(Bhugol) (भारतलोग और अर्थव्‍यवस्‍था) (Direct Download)
Fundamentals of Human Geography(انسانی جگرافیا  کے بنیادی اصول ) (Direct Download
India People and Economy(GEOG)(ہندوستان اوم اور معیشت) (Direct Download)

GRAPHICS DESIGN:cbse graphic design textbook for class 12, ncert books in graphic design for class 12
Towards a New Age Graphics Design (Direct Download

HINDI:cbse hindi textbook for class 12, ncert books in hindi for class 12
Antra-2 (अंतरा-2) (Direct Download)
Aroh-2 (आरोह-2) (Direct Download)
Vitan-2 (वितान-2) (Direct Download)
Antral-2 (अंतराल-2) (Direct Download)
Abhivyakti aur Madhyam-2 (अभिव्‍यक्ति और माध्‍यम-2) (Direct Download)

HISTORY: cbse history textbook for class 12, ncert books in history for class 12
Themes in Indian History-1 (Direct Download)
Themes in Indian History-2 (Direct DownloadThemes in Indian History-3 (Direct Download
Bharatiya Itihas ke kuchh Vishay-1 (भारतीयइतिहास के कुछ विषय-1) (Direct Download)
Bharatiya Itihas ke kuchh Vishay-2 (भारतीय इतिहास के कुछ विषय-2) (Direct Download)
Bharatiya Itihas ke kuchh Vishay-3 (भारतीय इतिहास के कुछ विषय-3) (Direct Download
Tareekh-e-Hind ke Mauzuat-1 (تاریخی ہند کے موضوعات) (Direct Download)
Tareekh-e-Hind ke Mauzuat-2 (تاریخی ہند کے موضوعات) (Direct Download

HERITAGE CRAFTS:cbse heritage crafts textbook for class 12, ncert books in heritage crafts for class 12
Craft Traditions of India: Past, Present and Future  (Direct Download)
cbse knowledge tradition and practices of india textbook for class 12, 
KNOWLEDGE TRADITION AND PRACTICES OF INDIABooks for Class 12th
Indian Ethics: Individual and Social
Education: Systems & Practices
Dance : Classical|| Dance : Folk
Agriculture: A Survey
Language and Grammar
Architecture: A Survey: Early and Classical Architecture
||Medieval & Colonial Architecture
Society State and Polity: A Survey
Painting: A Survey
Martial Arts Traditions: A Survey
Other Technologies: A Survey
Trade: A Survey


MATHMATICS:cbse mathmatics textbook for class 12, ncert books in mathmatics for class 12
Ganit-12, Bhag-1 (गणित-12, भाग-1) (Direct Download)
Ganit-12, Bhag-2 (गणित-12, भाग-2) (Direct Download
Ganit Prasna Pradarshika-12 (गणित प्रश्‍न प्रदर्शिका-12) (Direct Download)
Mathematics-12, Part-1 (Direct Download)
Mathematics-12, Part-2 (Direct Download
Mathmatics Exemplar Problem-12 (Direct Download)

PHYSICS:cbse physics textbook for class 12, ncert books in physics for class 12
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Physics Exemplar Problem(English) (Direct Download)
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Bhautiki-12 Bhag-1 (भौतिकी-12 भाग-1) (Direct Download)
Bhautiki-12 Bhag-2 (भौतिकी-12 भाग-2) (Direct Download)
Physics Exemplar Problem(Hindi) (भौतिकी प्रश्‍न प्रदर्शिका) (Direct Download)

POLITICAL SCIENCE:cbse political science textbook for class 12, ncert books in political science for class 12
Contemporary World Politics (Direct Download)
Politics in India Since Indipendence (Direct Download)
Samkalin Vishwa Rajniti (समकालीन विश्‍व राजनीति) (Direct Download)
Swatantra Bharat Mein Rajniti (स्‍वतंत्र भारत में राजनीति) (Direct Download)
 
PSYCHOLOGY: cbse psychology textbook for class 12, ncert books in psychology for class 12
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SANSKRIT: cbse sanskrit textbook for class 12, ncert books in sanskrit for class 12
Bhaswati-2 (भास्‍वती-2) (Direct Download)
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SOCIOLOGY: cbse sociology textbook for class 12, ncert books in sociology for class 12
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URDU:cbse urdu textbook for class 12, ncert books in urdu for class 12
Gulistan-e-Adab (گلستانےادب) (Direct Download)
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Supplementary Reading Material in Business Studies : Class XII 
Supplementary Reading Material in Economics
Part A: Introductory Microeconomics - English || Hindi
Part B: Introductory Macroeconomics -  English || Hindi

Supplementary Material for Senior Secondary Biology 
Gulliver's Travels Novel 
Novel: Three Men in a Boat 
Novel: Silas Marner by George Eliot - Class XII 
Novel: The Invisible Man by HG Wells - Class XII 
Language Skills Book - Functional English Class XI : Unit 1 and Unit 2 
Literature Reader - Functional English Class XI : Unit 1 and Unit 2 
Class IX : Interact in English - Teacher's Book for English (Communicative) 
Class XII : Launguage Skills Book - Functional English 
Class XII : Literature Reader - Functional English
Vocational : Books and Support Material
Information Technology || Automobile || Retail || Security 
Secondary School Curriculum Under NVEQF 2015 - Volume 2 : All Subjects 
Beauty Services 
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Design Fundamental 
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Music Technical Production 
Textile Design 
Electronics Curriculum : Class 11
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Information Technology : Classes 11 and 12
List of publication of Agriculture based courses 
Vocational Education at CBSE ‘BUILDING SKILLS’ ‘BUILDING FUTURE’ 
Sample Question Papers for Vocational Courses   

Sample Question Paper, Question Bank and Marking Scheme
Computer Science (Theory) - Class 12
Answering Scheme - Sample Paper 1 || Multimedia and Web Technologies
Sample Paper for visually impaired Blue print || Multimedia and Web Technology 
Sample Paper for Multimedia and Web Technologies, Class 12
Sample Paper for Visually Impaired || Multimedia and Web Technologies Class 12
Sample Paper Set || Marketing Scheme || Computer Science, Cass 12
Class 09 Question Bank - KANNADA 
Class 10 Question Bank - KANNADA
Class 09 Question Bank - TAMIL 
Class 10 Question Bank - TAMIL 
Class 09 Question Bank - TELUGU 
Class 10 Question Bank - TELUGU 
Class 10 Question Bank - ODIA 
Class 09 Question Bank - MALAYALAM 
Class 10 Question Bank - MALAYALAM 
Class 09 Question Bank - MARATHI 
Class 10 Question Bank - MARATHI 

Previous Question Papers
Problem Solving Assessment Question Paper 2013 : Class-09||Class-11
Marking Scheme of PSA question paper 
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नेपाल में सम्मानित होंगे लखनऊ के तीन ब्लॉगर्स!

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जनसंदेश टाइम्‍स, लखनऊ, 30 अगस्‍त, 2013
साहित्य एवं ब्लॉग जगत में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली शहर की तीन हस्तियां आगामी 14 सितम्बर, 2013 को नेपाल की राजधानी काठमांडु में आयोजित होने वाले दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में सम्मानित होंगी। सम्मानित होने वाली विभूतियों के नाम हैं: डॉ0 जाकिर अली रजनीश, सुशीला पुरी एवं विनय प्रजापति। सम्मान स्वरूप सभी रचनाकारों को नकद राशि, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किये जाएंगे। 

डॉ0 जाकिर अली रजनीश नगर के चर्चित रचनाकार हैं। उन्हें विज्ञान पोर्टल ‘साइंटिफिक वर्ल्ड‘के द्वारा वैज्ञानिक मनोवृत्ति के प्रसार के लिए ‘परिकल्पना विज्ञान भूषण सम्मान‘ प्रदान किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि ‘साइंटिफिक वर्ल्ड‘ हिन्दी का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला ब्लॉग है और इसे हाल ही में जर्मनी का अन्तर्राष्ट्रीय बॉब्स पुरस्कारभी प्राप्त हो चुका है। 

दूसरी रचनाकार सुशीला पुरीयुवा कवियत्री हैं और नगर के एक समाचार पत्र में कविता पर आधारित कॉलम भी लिखती हैं। परिकल्पना समूह उनके ब्लॉग सुशीला पुरीके द्वारा हिन्दी सेवा के लिए उन्हें ‘परिकल्पना हिन्दी भूषण सम्मान‘ से समादृत कर रहा है। 

तीसरे रचनाकार विनय प्रजापतिएक युवा कवि और वेबसाइट एक्सपर्ट हैं। उनका ब्लॉग टेक प्रिव्यु‘ विश्व के सर्वाधिक चर्चित तकनीकी ब्लॉगों में शामिल है। उन्हें इस ब्लॉग के लिए ‘परिकल्पना ब्लॉग तकनीकी सम्मान‘ से विभूषित किया जाएगा।

परिकल्पना समूह के संयोजक रवीन्द्र प्रभात ने बताया कि परिकल्पना की ओर से आगामी 13 14 सितम्बर, 2013 को काठमांडु में तीसरा अन्तर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन आयोजित होने वाला है, जिसमें विश्व के कोने—कोने से 100 से अधिक रचनाकार एवं ब्लॉगर भाग ले रहे हैं।

(दैनिक अमर उजाला, जनसंदेश टाइम्सएवं कल्‍पतरू एक्‍सप्रेसमें प्रकाशित समाचार!)
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अविश्‍वास की खाई को पाटने में साहित्‍य की महती भूमिका है!

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यादगार बना उ0प्र0 हिन्‍दी संस्‍थान का सम्‍मान समारोह

भारत भारती सम्‍मान-गोपालदास नीरज
गोपाल दास नीरज को 'भारत भारती सम्‍मान'प्रदान करते हुए संस्‍थान के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव

जीवन एक लय का नाम है, शरीर में हृदय एक लय में धडकता है, सांसें एक लय में चलती है, रक्त का प्रवाह एक लय में होता है। और जैसे ही यह लय बाधित होती है, जीवन संकट में आ जाता है। और जीवन की इस लय को बनाए रखने में साहित्य बहुत बडी भूमिका निभाता है। 

उपरोक्त बातें 'हिन्दी दिवस'के अवसर पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनउ द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में 2012 के 'भारत भारती सम्मान'से समादृत डॉ0 गोपाल दास नीरज ने कहीं। सम्मान स्वरूप उन्हें प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, पांच लाख दो हजार रूपये की धनराशि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष एवं उ0प्र0 के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भेंट की। 

इस अवसर पर संस्थान द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह में संस्थान द्वारा 66 रचनाकारों को सम्मानित किया गया, जिनमें भारत भारती सम्मान, लोहिया साहित्य सम्मान, हिन्दी गौरव सम्मान, महात्मा गांधी साहित्य सम्मान पं0 दीनदयाल उपाध्याय सम्मान, अवन्तीबाई सम्मान, राजर्षि पुरूषोत्तमदास टंडन सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान सहित सौहार्द सम्मान एवं पुस्तकों की विभिन्न विधाओं पर दिये जाने वाले सम्मान शामिल हैं। 

सम्‍मान समारोह के मुख्‍य अतिथि सांसद मुलाय‍म सिंह यादव सम्‍बोधित करते हुए, साथ में गोपाल दास नीरज, उदय प्रताप सिंह एवं अखिलेश यादव
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए सांसद मुलायम सिंह यादव ने भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं को मजबूत करने से देश मजबूत होगा। उन्होंने साहित्य की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि आज हमारे समाज में अविश्वास का माहौल है, उसे दूर करने का काम साहित्यकार से बेहतर कोई नहीं कर सकता। इसलिए साहित्य को बढावा देना हर सरकार का फर्ज है। 

समारोह में पधारे साहित्यकारों का स्वागत करते हुए संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि एक लम्बे अंतराल के बाद हिन्दी दिवस के अवसर पर सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है, इसके लिए हम सरकार के शुक्रगुजार हैं। संस्थान के अध्यक्ष और प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हिन्दी प्रेम अपने पिता से विरासत में पाया है। हमें पूर्ण विश्वास है कि उनके संरक्षण में हिन्दी संस्थान दिन दूरी रात चौगुनी प्रगति करेगा। 

कार्यक्रम के दौरान पुस्तकों पर दिये जाने वाले नामित पुरस्कारों राशि 40 हजार को लेकर टोकने पर संस्थान के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राशि को बढाकर 50 हजार रूपये करने की घोषणा की। इस अवसर पर उन्होंने संस्थान की मांग के अनुसार व्यंग्य विधा पर 2.00 लाख रूपये का पं0 श्रीनारायण चतुर्वेदी पुरस्कार, रू0 2.00 लाख का विधि पुरस्कार शुरू करने तथा हिन्दी विदेश प्रसार सम्मान की राशि 50 हजार रू0 से बढ़ाकर एक लाख रूपये करने की घोषणा भी की। 

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के निदेशक डॉ0 सुधाकर अदीब ने दिया और कार्यक्रम का संचालन संस्थान की प्रधान संपादक डॉ0 अमिता दुबे ने किया।

बालसाहित्‍य भारती सम्‍मान-प्रकाश मनु
प्रकाश मनु को बालसाहित्‍य भारती सम्‍मान प्रदान करते हुए संस्‍थान के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव, साथ में कार्यकारी अध्‍यक्ष उदय प्रताप सिंह
उ0 प्र0 हिन्दी संस्थान द्वारा वर्ष 2012 के लिए प्रदत्त सम्मान

भारत-भारती सम्मान (रु0 5.00 लाख 02 हजार)
डॉ0 गोपालदास नीरज 

लोहिया साहित्य सम्मान (रु0 4.00 लाख)
डॉ0 चौथीराम यादव 

हिन्दी गौरव सम्मा (रु0 4.00 लाख)
सोम ठाकुर 

महात्मा गांधी साहित्य सम्मा (रु0 4.00 लाख)
मन्नू भंडारी 

दीनदयाल उपाध्याय सम्मान (रु0 4.00 लाख)
डॉ0 बलदेव वंशी 

अवन्ती बाई सम्मान (रु0 4.00 लाख)
चित्रा मुद्गल

साहित्य भूषण सम्मान (प्रत्येक को रु0 2.00 लाख)
डॉ0 पुष्पपाल सिंह, 
नसीम साकेती, 
डॉ0 जितेन्द्र नाथ मिश्र, 
शैलेन्द्र सागर, 
डॉ0 बुद्धिनाथ मिश्र, 
वीरेन्द्र यादव, 
डॉ0 शिवओम अम्बर, 
चंद्रसेन विराट, 
डॉ0 रामशंकर त्रिपाठी, 
विनोद चन्द्र पाण्डेय ‘विनोद’

लोक भूषण सम्मान (रु0 2.00 लाख)
डॉ0 अवध किशोर जड़िया

कला भूषण सम्मान  (रु0 2.00 लाख)
डॉ0 सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ 

विद्या भूषण सम्मान (रु0 2.00 लाख)
डॉ0 अशोक चक्रधर 

विज्ञान भूषण सम्मान (रु0 2.00 लाख)
प्रो0 कृष्णा मुखर्जी

पत्रकारिता भूषण सम्मान (रु0 2.00 लाख)
त्रिलोक दीप 

प्रवासी भारतीय हिन्दी भूषण सम्मान (रु0 2.00 लाख)
तेजेन्द्र शर्मा 

बाल साहित्य भारती सम्मान (रु0 2.00 लाख)
प्रकाश मनु 

सौहार्द सम्मान (रु0 2.00 लाख 02 हजार प्रत्येक)
डॉ0 कीर्ति केसर (पंजाबी), 
डॉ0 विद्या केसर चिटको (मराठी), 
चिडबांबम निशान निंगतम्बा (मणिपुरी), 
महेन्द्र शर्मा (उडिया), 
डॉ0 हरीश रमणलाल द्विवेदी (गुजराती), 
डॉ0 सु0 नागलक्ष्मी (तमिल), 
विष्णु राजाराम देवगिरि (कन्नड़), 
रजनी पाथरे राजदान (कश्मीरी), 
डॉ0 प्रभात कुमार भट्टाचार्य (बंगाली), 
पारनन्दि निर्मला (तेलुगु), 
डॉ0 वी0वी0 विश्वम (मलयालम) 

मधु लिमये सम्मान (रु0 2.00 लाख)
अशोक निगम 

राजषि पुरूषोत्मदास सम्मान (रु0 2.00 लाख)
केरल हिन्दी प्रचार सभा, तिरूअनन्तपुरम 

हिन्दी विदेश प्रसार सम्मान (रु0 50 हजार)
डॉ0 विमलेश कान्ति वर्मा

विश्वविद्यालय स्तरीय सम्मान (रु0 50 हजार)
प्रो0 आरिफ नज़ीर, डॉ0 सोमेश कुमार शुक्ला

इनके अतिरिक्‍त रचनाकारों को वर्ष 2012 में प्रकाशित पुस्‍तकों पर 26 विधाओं के अन्‍तर्गत नामित पुरस्‍कार एवं सर्जना पुरस्‍कार भी प्रदान किये गये।

नहीं रहे डॉ. हरिकृष्‍ण देवसरे।

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डॉ. हरि कृष्‍ण देवसरे
डॉ0 हरि कृष्‍ण देवसरे
बच्‍चों की लोकप्रिय पत्रिका 'पराग'के सम्‍पादक और जाने-माने बाल साहित्‍यकार डॉ0 हरिकृष्‍ण देवसरे का कल 14 नवम्‍बर, 2013 को 75 वर्ष की अवस्‍था में इंदिरा पुरम, गाजियाबाद के एक अस्‍पताल में लम्‍बी बीमारी के बाद निधन हो गया।

09 मार्च, 1938 (आफीशियल जन्‍मतिथि: 03 मार्च,1940) को नागौर, मध्‍य प्रदेश में जन्‍में डॉ0 देवसरे बाल साहित्‍य के प्रयोगवादी लेखक के रूप में जाते हैं। उन्‍होंने 1984 से 1991 तक के 'पराग'के सम्‍पादन के दौरान बाल साहित्‍य में राजा-रानी और परी कथाओं की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए और बच्‍चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास पर बल दिया।

डॉ0 देवसरे बाल साहित्‍य के प्रथम गम्‍भीर अध्‍येता के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्‍होंने अपने शोध ग्रन्‍थ 'हिन्‍दी बाल साहित्‍य: एक अध्‍ययन'के द्वारा बाल साहित्‍य समीक्षा के क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी शुरूआत की, जिसने बाल साहित्‍यकारों को गम्‍भीरता से सोचने के लिए विवश किया।

डॉ0 देवसरे ने हिन्‍दी के प्रतिनिधि बाल साहित्‍य को पहली बार सामने लाने का महत्‍वपूर्ण कार्य किया। शकुन प्रकाशन द्वारा उनके सम्‍पादन में प्रकाशित 'बच्‍चों की 100 कहानियां', 'बच्‍चों की 100 कविताएं'और 'बच्‍चों के 100 नाटक'आज भी बाल साहित्‍य जगत में मील के पत्‍थर के रूप में जाने जाते हैं।

300 से अधिक पुस्‍तकों के लेखक डॉ0 देवसरे ने ऐसा कोई विषय नहीं है, जिसपर लेखन कार्य न किया हो। पर वे मुख्‍य रूप में आधुनिक बोध से सम्‍पन्‍न बाल कथाओं, विज्ञान कथाओं और एक कुशल समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं। 'हिन्‍दी बाल साहित्‍य: एक अध्‍ययन'के अतिरिक्‍त उनकी पुस्‍तक 'बाल साहित्‍य: रचना और समीक्षा'भी काफी चर्चित रही है। उनके द्वारा बाल साहित्‍य के विविध विषयों पर लिखे गये लेखों के संकलन के रूप में प्रस्‍तुत पुस्‍तक 'बाल साहित्‍य: मेरा चिंतन'भी इस दृष्टि से विशेष उल्‍लेखनीय है।

अपनी वृहद बाल साहित्‍य सेवा के कारण वर्ष 2011 के बाल साहित्‍य सम्‍मान देश-विदेश के अनेकानेक सम्‍मानों से विभूषित डॉ0 हरि कृष्‍ण देवसरे अपने अन्तिम समय तक बाल साहित्‍य की सेवा में सक्रिय रहे हैं। उनके रचनाकर्म पर चर्चित रचनाकार ओमप्रकाश कश्‍यप की पुस्‍तक 'हरिकृष्‍ण देवसरे का बालसाहित्‍य'विशेष रूप से पठनीय है।

डॉ0 देवसरे के निधन से निश्‍चय ही बाल साहित्‍य की अपूर्णीय क्षति हुई है। सम्‍पूर्ण हिन्‍दी बाल साहित्‍य जगत उनके निधन से हतप्रभ है। ईश्‍वर उनकी आत्‍मा को शान्ति प्रदान करे और उनके परिवार को इस दारूण दु:ख को सहने की शक्ति।
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नमन तुम्हें है बारम्बार!

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Lakshmi Shankar Mishra Nishank
लक्ष्‍मी शंकर मिश्र ‘निशंक’ (21.10.1918 – 30.12.2011)

साहित्य के नि:स्वार्थ साधक: लक्ष्‍मी शंकर मिश्र ‘निशंक’ 

लखनऊ का यह सौभाग्‍य है कि वह सदा से ही साहित्‍य का गढ़ रहा है। चाहे प्रगतिशील आंदोलन के प्रारम्‍भ की बात रही हो या फिर आज के समय के साहित्‍य के सर्वाधिक चर्चित आयोजन कथाक्रम की, सभी लखनऊ की माटी से जुड़े हुए हैं। इसकी माटी ने जहां एक ओर यशपाल, अमृतलाल नागर, भगवतीचरण वर्मा, गजेंद्र नाथ चतुर्वेदी, रमई काका जैसे ख्‍यातिनाम रत्‍न हिन्‍दी साहित्‍य को दिये हैं, वहीं ऐसे अन्‍य सैकड़ों रचनाकार भी हैं, जो तन-मन से ही नहीं धन से भी हिन्‍दी साहित्‍य की सेवा में समर्पित रहे हैं। 

ऐसे ही रचनाकारों में डॉ. लक्ष्‍मीशंकर मिश्र निशंक का नाम प्रमुख है। वे कान्‍यकुब्‍ज कालेज में अध्‍यापन से जुड़े रहे और आजीवन हिन्‍दी की सेवा में रत रहे। डॉ. निशंक मूलत: कवि थे और उन्‍होंने कवित्‍त–सवैया को युगानुरूप ढ़ाल कर उसे समकालीन समाज में लोकप्रिय बनाने का काम किया। उन्‍होंने ‘सुकवि विनोद’(1973) का प्रकाशन किया और कविता को नई धार दी। इसके साथ ही उन्‍होंने युवा रचनाकारों को प्रेरित करने और उन्‍हें प्रशिक्षित करने का भी सराहनीय कार्य किया। 

21 अक्‍टूबर, 1918 को भगवंतनगर, हरदोई, उ.प्र. में जन्‍में डॉ. निशंक खडी बोली के साथ ही अवधी और ब्रज भाषा के मर्मज्ञ रहे हैं। उन्‍होंने सुमित्रा (महाकाव्‍य), शांति-दूत, बांसुरी, शतदल, अनुपता, शंख की सांस, तूणीर, शांति दूत, साधना के स्‍वर (काव्‍य संग्रह), प्रेम-पियूष (ब्रज काव्‍य), पुरवाई, (अवधी काव्‍य), साहित्‍यकार का दायित्‍व (निबंध संग्रह), ‘संस्‍मरणों के दीप’ (संस्‍मरण) जैसी दो दर्जन पुस्‍तकें रचीं, जो चर्चित एवं पुरस्‍कृत हुईं। 

डॉ. निशंक की 95वीं जयंती के अवसर पर पिछले दिनों उनकी स्‍मृति में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के चर्चित रचनाकारों ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर एक स्‍मृति-ग्रंथ ‘शाश्‍वत शब्‍द : समर्पित साधना’ का भी प्रकाशन किया गया। इस स्‍मृति ग्रन्‍थ से गुजरते हुए यह एहसास होता है कि उन्‍होंने किस प्रकार आजन्‍म हिन्‍दी सेवा के व्रत का पालन किया और अन्‍य हिन्‍दी प्रेमियों का उत्‍साहवर्धन/मार्गदर्शन कर उनके पथ को आलोकित किया। 

स्‍मृतिग्रंथ में जहां एक ओर जाने-माने रचनाकारों ने डॉ. निशंक से सम्‍बंधित स्‍मृतियों को उकेरा है, वहीं इसमें चर्चित रचनाकार श्रीनारायण चतुर्वेदी, रामेश्‍वर शुक्‍ल अंचल, शिवमंगल सिंह सुमन, विष्‍णुकांत शास्‍त्री जैसे रचनाकारों के पत्रों को भी संग्रहीत किया गया है, जो निशंक जी के व्‍यक्तित्‍व एवं कृतित्‍व के महत्‍वपूर्ण पक्षों को सामने रखते हैं। ग्रंथ में निशंक जी की अनेक अप्रकाशित रचनाएं प्रकाशित होने से यह अंक पठनीय के साथ-साथ संग्रहणीय भी बन पड़ा है। 

इस स्‍मृति ग्रंथ से गुजरते हुए जहां एक ओर निशंक जैसे समर्पित साहित्‍य सेवी की साहित्‍य साधना के बारे में पता चलता है, वही दूसरी ओर शहर की साहित्यिक पृष्‍ठभूमि एवं समकालीन रचनाकारों के बारे में भी काफी कुछ जानने को मिलता है। इससे इस ग्रन्‍थ की गरिमा एवं सार्थकता निश्‍चय ही बढ़ जाती है।
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डॉ. हरिकृष्ण देवसरे: बाल साहित्य के ध्रुव तारा!

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अभी ज्यादा अर्सा नहीं हुआ, जब सामाजिकों को बाल साहित्य ही नहीं स्वयं बच्चों का भी स्वतंत्र अस्तित्व स्वीकार्य नहीं था। रूढियों में जकड़े हमारे समाज में बच्चे ऐसी इकाई थे, जिन्हें ‘ठोंक-पीट‘ कर और ‘डांट-डपट‘ कर ‘आज्ञाकारी बालक‘ बनाना परिवार का प्रथम कर्तव्य समझा जाता था। सामंती विचारधारा में निमग्न उस तत्कालीन समाज में अगर बच्चों के लिए साहित्य के नाम पर कुछ था, तो सिर्फ धार्मिक नीतिकथाएं और उपदेशात्मक लोक कथाएं। लेकिन जैसे-जैसे समाज में आधुनिकताबोध का प्रसार हुआ, वैसे-वैसे न सिर्फ बच्चों के स्वतंत्र अस्तित्व को प्रबुद्धजनों ने स्वीकारा, वरन उनके लिए आधुनिक मूल्य-बोध से सम्पन्न साहित्य की आवश्‍यकता भी महसूस की जाने लगी। पराग के नेतृत्व में प्रारम्भ हुए इस वैचारिक आह्वान को आंदोलन का रूप देने में डॉ. हरिकृष्ण देवसरे का प्रमुख योगदान है। 

जीवन को करीब से रहकर जीने वाले और सामाजिक विद्रूपताओं का बचपन से साक्षात्कार करने वाले डॉ0 हरिकृष्ण देवसरे ने अपने कटु अनुभवों से यह सहज ही जान लिया था कि सामंती शक्तियां येन-केन-प्रकारेण आज भी समाज को अपना गुलाम बनाए रखना चाहती हैं। वे नहीं चाहतीं कि सामाजिकों में चेतना का प्रसार हो। इसलिए ये शक्तियां धर्म और संस्कृति के नाम पर समाज में आडम्बरों, जादू-टोने, तंत्र-मंत्र और परीकथाओं को बढ़ावा देती हैं ताकि आमजन अपने चारों ओर पसरी समस्याओं की तह तक न पहुंच सकें। अपनी दुर्दशा के लिए वे अपने भाग्य को कोसें और उनके निराकरण के लिए चमत्कारों की आस जोहने को ही अपनी नियति मानें। 

बच्चों को मायावी फंतासी के इस दुष्चक्र से निकालने के लिए डॉ0 देवसरे ने न सिर्फ ‘पराग‘ के माध्यम से रचनाकारों को प्रेरित किया, वरन स्वयं भी वैज्ञानिक चेतना से सम्पन्न साहित्य की रचना करके साहित्यकारों के समक्ष अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। 

09 मार्च, 1938 (आफीशियल जन्मतिथिः 03 मार्च, 1940) को मध्य प्रदेश के सतना जिले की नागौर तहसील में जन्में डॉ0 देवसरे बाल साहित्य के प्रयोगवादी लेखक के रूप में जाते हैं। उन्होंने 1984 से 1991 तक के ‘पराग‘ के सम्पादन के दौरान बाल साहित्य में राजा-रानी और परीकथाओं की प्रासंगिकता पर तर्कपूर्ण ढ़ंग से सवाल उठाए और बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास पर बल दिया। 

डॉ0 देवसरे बाल साहित्य के प्रथम गम्भीर अध्येता के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्होंने अपने गुरु एवं नाटककार शंकर शेष की प्रेरणा से ‘हिन्दी बाल साहित्यः एक अध्ययन‘ विषयक शोध प्रबंध (निर्देशक-डॉ0 उदय नारायण तिवारी) लिखकर जबलपुर विश्‍वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि अर्जित की। वर्ष 1968 में घटित हुई इस घटना के द्वारा उन्होंने न सिर्फ बाल साहित्य समीक्षा के क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी शुरूआत की, वरन हिन्दी बाल साहित्य पर प्रथम पी-एच0डी0कर्ता के रूप में भी स्वयं का नाम भी दर्ज कराया। 

डॉ0 देवसरे ने न सिर्फ स्तरीय बाल साहित्य रचकर बाल साहित्य के भंडार को भरा, बल्कि प्रतिनिधि बाल साहित्य को एक सूत्र में पिरोने का महती कार्य भी किया। यही कारण है कि उनके सम्पादन में प्रकाशित ‘बच्चों की 100 कहानियां‘, ‘बच्चों की 100 कविताएं‘, ‘बच्चों के 100 नाटक‘ (शकुन प्रकाशन, दिल्ली) एवं ‘प्रतिनिधि बाल नाटक‘ (उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ) संग्रह आज भी बाल साहित्य जगत में मील के पत्थर के रूप में जाने जाते हैं। इसके अतिरिक्त उनके सम्पादन में साहित्य अकादेमी, दिल्ली से 4 भागों में प्रकाषित पुस्तक ‘भारतीय बाल कहानियां (21 भाषाओं की प्रतिनिधि 52 रचनाएं) भारतीय भाषाओं के एक अद्वितीय कहानी संग्रह के रूप में जानी जाती है। 

300 से अधिक पुस्तकों के लेखक डॉ0 देवसरे ने यूं तो कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, जीवनी, आलोचना आदि सभी विधाओं को समृद्ध किया है, पर वे मुख्य रूप से आधुनिक बोध से सम्पन्न बाल कथाओं, विज्ञान कथाओं और अपनी बेबाक समीक्षाओं के लिए जाने जाते हैं। ‘हिन्दी बाल साहित्यः एक अध्ययन‘ के अतिरिक्त उनकी पुस्तक ‘बाल साहित्यः रचना और समीक्षा‘ भी काफी चर्चित रही है। उनकी पुस्तक ‘बाल साहित्यः मेरा चिंतन‘ भी इस दृष्टि से विशेष उल्लेखनीय है। इस पुस्तक में समय-समय पर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाषित होने वाले उनके आलेखों को संग्रहीत किया गया है, जिनमें उन्होंने बाल साहित्य के महत्व, उसकी स्थिति और विभिन्न विधाओं के बाल साहित्य का आलोचनात्मक विष्लेषण प्रस्तुत किया है। 

डॉ0 हरिकृष्ण देवसरे ने बाल साहित्य की जो सेवा की है, वह अतुलनीय है। उनकी इन सेवाओं के लिए उन्हें दर्जनों संस्थाओं के द्वारा पुरस्कृत/सम्मानित किया गया, जिनमें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का बाल साहित्य भारतीसम्मान और साहित्य अकादेमी का बाल सहित्य सम्मानप्रमुख हैं। 

डॉ0 देवसरे की गिनती साहित्य के उन मनीषियों में होती है, जिनकी नसों में बाल साहित्य जुनून की तरह दौड़ता रहा। अपने इसी जुनून के कारण ही वे आकाशवाणी के सहायक निदेशक जैसे पद का परित्याग करके ‘पराग‘ पत्रिका के संपादकत्व को स्वीकारने का साहस जुटा सके। और उनका यह जुनून उनके पूरे सम्पादनकाल (1984-1991) में सहज रूप में परिलक्षित हुआ। यही कारण है कि ‘पराग‘ न सिर्फ इस दौरान अपने उरूज पर रही, बल्कि उसने साहित्य जगत के बीच में बाल साहित्य को एक सम्मानजनक स्थान दिलाने में भी महती भूमिका अदा की। 

बाल साहित्य के प्रति उनके इस लगाव को बनाए रखने में निःसंदेह उनकी जीवन संगिनी विभा देवसरे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विभा स्वयं बालसाहित्य की एक सषक्त हस्ताक्षर हैं। यह उनके अनन्य सहयोग का ही परिणाम था कि ‘पराग‘ बंद होने के बाद भी देवसरे का जुनून कम नहीं हुआ और वे लेखनी को अपनी आजीविका बनाने के कठिन दौर में भी बाल साहित्य सेवा के अपने व्रत से विरत न हो सके। 

बाल साहित्य के प्रति उनका यह समर्पण 14 नवम्बर, 2013 तक अबाध गति से जारी रहा, जब उन्होंने जीवन की अन्तिम सांस ली। उन्होंने 75 वर्षों का भरपूर जीवन जिया, जिसमें से लगभग 60 वर्ष उन्होंने बाल साहित्य की सेवा में बिताए। उनके इस समर्पण भाव को ओमप्रकाश कश्यपकी पुस्तक ‘हरिकृष्ण देवसरे का बालसाहित्य‘ में शिद्दत से महसूस किया जा सकता है। 

देवसरे जैसा साहित्यकार सदियों में एक बार ही जन्म लेता है। भौतिक रूप में वे भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, पर उनका स्नेहिल आशीष हम सबके दिलों को महका रहा है। और शायद यह कहना कोई अतिश्‍योक्ति न होगी कि जब तक इस धरती पर बच्चे रहेंगे, बच्चों का साहित्य रहेगा, डॉ. हरिकृष्ण देवसरे बाल साहित्य के आकाश में ध्रुव तारे की भांति जगमगाते रहेंगे।
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पिछले दिनों हरिकृष्‍ण देवसरे जी द्वारा रचित दृश्‍य-श्रव्‍य सामग्री पर केन्द्रित उनका एक उपयोगी वीडियो जारी किया गया है। वह वीडियो आपकी सेवा में प्रस्‍तुत है:
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समाज को सुशिक्षित एवं सुसंस्‍कारित बनाने में बालसाहित्‍य का बहुत बड़ा योगदान है।

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(कार्यक्रम संयोजक सर्वेश अस्‍थाना स्‍वागत भाषण देते हुए)
यह बडे दुर्भाग्‍य का विषय है कि हमारे समाज में न तो बच्‍चों को उचित सम्‍मान दिया जाता है और न ही बच्‍चों का साहित्‍य रचने वाले रचनाकारों को। जबकि हम सब जानते हैं कि बच्‍चे ही किसी समाज का भविष्‍य होते हैं और उस भावी समाज को सुशिक्षित एवं सुसंस्‍कारित बनाने में बालसाहित्‍य का बहुत बड़ा योगदान है। इसलिए यदि हम चाहते हैं कि हमें बच्‍चे आगे चलकर नैतिकता पर चलें, वे अपने बुजुर्गों का सम्‍मान करें, तो उन्‍हें नियमित रूप से स्‍वस्‍थ बाल साहित्‍य पढने को दें।

उत्‍तर प्रदेश हिन्‍दी संस्‍थान के कार्यकारी उपाध्‍यक्ष ने दिनांक 30 दिसम्‍बर, 2013 को बाल रचनाकारों के सम्‍मान समारोह में मुख्‍य अतिथि के रूप में बोलते हुए उपरोक्‍त विचार रखे। वे सर्च फाउंडेशन और यू.पी. प्रेस क्‍लब द्वारा संयुक्‍त रूप से लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्‍होंने इस अवसर पर सभा को सम्‍बोधित करते हुए यह आश्‍वासन भी दिया कि अगले वर्ष से हिन्‍दी संस्‍थान से बाल साहित्‍य पर एक बड़ा सम्‍मान भी प्रदान किया जाएगा।
उदय प्रताप सिंह, डॉ. ज़ाकिर अली रजनीश को बाल साहित्‍य सम्‍मान प्रदान करते हुए
कार्यक्रम के संयोजक एवं चर्चित हास्‍य कवि सर्वेश अस्‍थाना ने अतिथियों का स्‍वागत करते हुए कहा कि बाल साहित्‍य लेखन का कार्य किसी साधना से कम नहीं, क्‍योंकि इसमें लेखक स्‍वयं को बचपन के स्‍तर पर ले जाता है और तत्‍पश्‍चात एक अच्‍छी रचना का निर्माण कर पाता है।

कार्यक्रम में बाल साहित्‍य की सेवा करने वाले 6 बाल साहित्‍यकारों को सम्‍मानित किया गया। सम्‍मानित होने वाले रचनाकारों के नाम हैं: श्री विनोद चंद्र पाण्‍डेय, श्री सूर्य कुमार पाण्‍डेय, श्री शंकर सुल्‍तानपुरी, डॉ. सुरेन्‍द्र विक्रम, डॉ. जाकिर अली रजनीश एवं डॉ. मंजरी शुक्‍ला।

कार्यक्रम को सर्च फाउंडेशन के संरक्षक अनिल टेकरीवाल ने भी सम्‍बोधित किया। उन्‍होंने बताया कि जल्‍द ही संस्‍था 'द चिल्‍ड्रेन टाइम्‍स डॉट कॉम'नामक पोर्टल लांच करने वाली है, जिसमें बच्‍चों की शिक्षा के साथ-साथ उनके मनोरंजन एवं समस्‍याओं से भी सम्‍बंधित सामग्री का प्रकाशन किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन वत्‍सला पाण्‍डेय ने किया।
सम्‍मानित रचनाकार, संयोजक एवं मुख्‍य अतिथि के साथ
इस अवसर पर सम्‍मानित रचनाकारों ने भी अपने विचार रखे और संक्षेप में अपनी रचनाओं के बारे में अपने वक्‍तव्‍य दिये। इसके साथ ही उन्‍होंने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ भी किया।
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गूगल पेज रैंक: कौन कितने पानी में?

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काफी समय के बाद गूगल की पेज रैंक अपडेट हुई है। ऐसे में यह जानना महत्‍वपूर्ण हो जाता है कि कौन-कौन से ऐसे हिन्‍दी ब्‍लॉग हैं, जिन्‍होंने सर्वाधिक पेज रैंक पाई है। इसे चेक करने पर काफी आश्‍चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं।

इससे पहले कि इस बात को आगे बढ़ाएं, उन सवालों के बारे में बात कर ली जाए, जो पेज रैंक से अनजान लोगों के मन में आ रहे होंगे। जैसे-
गूगल पेज रैंक क्‍या है?
गूगल पेज रैंक का क्‍या महत्‍व है?
गूगल पेज रैंक कैसे काम करती है?
 
गूगल पेज रैंक क्‍या है?
'गूगल पेज रैंक'इंटरनेट पर उपलब्ध सभी सामग्रियों को ग्रेडिंग करने का तरीका है। गूगल इंटरनेट पर उपलब्‍ध सभी सामग्रियों की 01 से लेकर 10 नंबर की ग्रेडिंग करती है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी ब्‍लॉग/वेबसाइट में 10 पेज/पोस्‍ट हैं, तो उन सभी पेजों/पोस्‍टों को निर्धारित मानदण्‍डों के आधार पर ग्रेड दिया जाता है। इसके अतिरिक्‍त किसी भी ब्‍लॉग/वेबसाइट की समस्‍त सामग्री और उसके तकनीकी पक्षों को देखने के बाद उसके होमपेज की भी ग्रेडिंग की जाती है, जिसे आमतौर से ब्‍लॉग/वेबसाइट का गूगल पेज रैंक कहा जाता है।
 

गूगल पेज रैंक कम से अधिक की ओर चलती है। सबसे पहले 1 फिर 2 ..... ऐसे ही 4, 5, 6 और अंत में 10. यानि की रैंक की संख्‍या जितनी ज्‍यादा, गूगल की दूष्टि में आपका ब्‍लॉग/वेबसाइट उतना ही महत्‍वपूर्ण।

गूगल पेज रैंक कैसे काम करती है?
यह बड़ा टेढा सवाल है। हालांकि इसपर बहुत कुछ लिखा जा चुका है, पर वह इतना तकनीकी है, कि उसे समझने के चक्‍कर में दिमाग चकरा जाता है। मोटा-मोटी समझिए कि यह वेबलिंकों के गठजोड़, ब्‍लॉग/वेबसाइट यूआरएल की यूनिकनेस, एस.ई.ओ. प्रबंधन, यूनिक कंटेंट और भाषाई गुणवत्‍ता के समुच्‍चय से निर्धारित होती है।

गूगल पेज रैंक का क्‍या महत्‍व है?
गूगल पेज रैंक का सीधा असर गूगल सर्च पर दिखाए जाने वाले खोज परिणामों पर पड़ता है। उदाहरणार्थ यदि किन्‍हीं दो ब्‍लॉगों में समान सामग्री पाई जाती है, तो गूगल सर्च परिणामों में उस ब्‍लॉग का नाम पहले दिखाएगा, जिसकी पेज रैंक अधिक होगी। और चूंकि ब्‍लॉग के अधिकतर पाठक सर्च इंजनों से ही आते हैं, इसलिए किसी भी ब्‍लॉग के लिए उसकी गूगल पेज रैंक बहुत ज्‍यादा महत्‍व रखती है।

सर्वाधिक गूगल पेज रैंक अर्जित करने वाले हिन्‍दी ब्‍लॉग:
तो आइए, अब अधिक प्रवचन करने से अच्‍छा है, सर्वाधिक गूगल पेज रैंक अर्जित करने वाले हिन्‍दी ब्‍लॉगों के बारे में जाना जाए। बहुत खोजबीन करने के बाद भी मुझे 05 पेज रैंक वाला कोई भी हिंदी ब्‍लॉग नहीं मिला है। हालांकि पूर्व में ऐसे कई ब्‍लॉग थे, जो 05 पेज रैंकधारक थे, लेकिन गूगल की दिन प्रतिदिन बदलती नीतियों के कारण ऐसे ब्‍लॉगों की पेज रैंक कम हो गयी है। जैसे रवि रतलामी का ब्‍लॉग 'छींटें और बौछारें'। पूर्व में इस ब्‍लॉग की 05 रैंक थी, किन्‍तु अब यह 04 पर आ गया है।

मैंने अपने संज्ञान के आधार पर 04 और 03 पेज रैंक वाले ब्‍लॉगों की सूची बनाई है, जोकि आप सबकी सेवा में प्रस्‍तुत है। यदि आपकी दृष्टि में कोई ऐसा ब्‍लॉग हो, जिसकी पेज रैंक 03, 04 या उससे अधिक है, तो हमें अवश्‍य बताएं, उसे इस सूची में शामिल कर लिया जाएगा।
          

04 गूगल पेज रैंक वाले हिन्‍दी ब्‍लॉग
01. सर्प संसार -डॉ. अरविंद मिश्र एवं डॉ. जाकिर अली रजनीश,(एलेक्‍सा रैंक-182683)
02. कस्‍बा -रवीश कुमार (एलेक्‍सा रैंक- 203690)
03. छींटें और बौछारें -रवि रतलामी (एलेक्‍सा रैंक- 646124)
04. नुक्‍ताचीनी -देबाशीष (एलेक्‍सा रैंक- 1033296)
05. विज्ञान विश्‍व -आशीष श्रीवास्‍तव (एलेक्‍सा रैंक- 2164368)
06. रेडियोवाणी -यूनुस खान (एलेक्‍सा रैंक- 15841923)
07. शब्‍दों का सफर -अजित वडनेरकर (एलेक्‍सा रैंक- 19203261)



03 गूगल पेज रैंक वाले हिन्‍दी ब्‍लॉग
01. साइंटिफिक वर्ल्‍ड -डॉ. जाकिर अली रजनीश (एलेक्‍सा रैंक- 182683)
02. साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन -सामुहिक ब्‍लॉग (एलेक्‍सा रैंक-
182683)
03. मेरी दुनिया मेरे सपने - डॉ. जाकिर अली रजनीश (एलेक्‍सा रैंक-
182683)
04. जानकीपुल-साहित्यिक पत्रिका (एलेक्‍सा रैंक- 577919)
05. तख़लीक़-ए-नज़र -विनय प्रजापति नज़र (एलेक्‍सा रैंक- 658609)
06. फुरसतिया -अनूप शुक्‍ल (एलेक्‍सा रैंक- 726922)
07. उड़नतश्‍तरी -समीरलाल (एलेक्‍सा रैंक- 7338829)
08. रचनाकार
-साहित्यिक पत्रिका (एलेक्‍सा रैंक- 864035)
09. तीसरा खंबा -दिनेशराय द्विवेदी (एलेक्‍सा रैंक- 1139117)
10. मानसिक हलचल -ज्ञानदत्‍त पाण्‍डेय (एलेक्‍सा रैंक- 1203508)
11. ताऊ डॉट इन -पी.सी. रामपुरिया (एलेक्‍सा रैंक- 1718127)
12. नारी
-सामुहिक ब्‍लॉग (एलेक्‍सा रैंक- 3002995)
13. हिंदी ब्‍लॉग टिप्‍स -आशीष खण्‍डेलवाल (एलेक्‍सा रैंक- 6380799)

14. सारथी -जे.पी. शास्‍त्री फिलिप (एलेक्‍सा रैंक- 7022234)
15. सृजन शिल्‍पी-सामुहिक ब्‍लॉग (एलेक्‍सा रैंक- 9871339)
16. उदय प्रकाश (एलेक्‍सा रैंक- 12336828)
17. काकेश की कतरनें -काकेश (एलेक्‍सा रैंक- 14701880)
18. मोहल्‍ला -सामुहिक ब्‍लाग (एलेक्‍सा रैंक- 19385472)

19. खेती-बाड़ी -अशोक पाण्‍डेय (एलेक्‍सा रैंक- 22627818) 

20. अज़दक -प्रमोद सिंह (एलेक्‍सा रैंक- अज्ञात)
21. खट्टा-मीठा, चटपटा -आलोक पुराणिक (एलेक्‍सा रैंक- अज्ञात)

22. सिनेमा सिलेमा -प्रमोद सिंह (एलेक्‍सा रैंक- अज्ञात)

नोट: एक समान पेज रैंक वाले ब्‍लॉगों को 'एलेक्‍सा रैंक'के आधार पर प्रदर्शित किया गया है।


आपके ब्‍लॉग की पेज रैंक क्‍या है? 
क्‍या आपको मालूम है कि आप‍के ब्‍लॉग की पेज रैंक क्‍या है? नीचे दिये टूल की मदद से आप उसे अभी चेक कर सकते हैं। 
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मोहम्मद अरशद ख़ान: बाल कहानियों का अद्भुत चितेरा।

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मोहम्मद अरशद ख़ान: नई पीढ़ी का सजग प्रहरी!

बाल कहानी की विकास-यात्रा में बीसवीं शताब्दी का अंतिम दशक एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दौरान बाल कहानियों में जितनी विविधता देखने को मिलती है, वह पहले कभी नहीं रही। इस दौर में जहाँ एक ओर ‘सुमन सौरभ’, ‘नन्हे सम्राट’ की अगुवाई में जासूसी, रहस्य-रोमांच और सामाजिक स्तर पर भंडाफोड़ शैली में कहानियों का प्रकाशन होता है, वहीं ‘नंदन’ विशुद्ध रूप में लोक कथाओं को समर्पित नज़र आता है। 

इन दो धुर विपरीत ध्रुवों के अलग ‘बालहंस’ ने एक सर्वथा नए क्षेत्र मनोविज्ञान का अनुसंधान किया। अपने कुशल संपादन के दौरान यशस्वी संपादक अनंत कुशवाहा ने रचनाकारों की ऐसी जमात तैयार की, जिसने बाल मनोविज्ञान को गहराई से समझा और अपनी रचनाओं में उतारा। ऐसे रचनाकारों में समीरा स्वर्णकार, मोहम्मद अरशद ख़ान, ज़ाकिर अली ‘रजनीश’, अनुकृति संजय, कमलेश पाण्डे ‘पुष्प’, निर्मला लोहार, मोहम्मद साजिद ख़ान, रमाशंकर आदि के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं। 
Arshad Khan ki Shreshth Bal Kathayen_Editor_Zakir Ali Rajnish
इनमें से कुछ तो ऐसे हैं, जो क़दम-दो क़दम चलकर समय के ग़ुबार में गुम हो गए, पर बहुतेरे ऐसे क़लमकार भी हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी के द्वारा न सिर्फ एक अलख जगाई, वरन साहित्य जगत में एक प्रतिष्ठित स्थान स्थान भी हासिल किया। इन रचनाकारों में कुछ लेखक ऐसे भी हैं जिन्होंने जितने समर्पण भाव से लेखन कार्य किया, उतनी ही शिद्दत से प्रकाशन आदि में भी रुचि दिखाई। पर ज़्यादातर रचनाकार ऐसे हैं जो आज भी सेवा-भाव से अपनी लेखनी के द्वारा सृजन-कर्म में लीन हैं। न इन्हें लेखकीय शोशेबाज़ियों से कोई मतलब होता है, न साहित्यिक गहमागहमी में रुचि। इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह होता है कि ऐसे रचनाकारों को उचित प्लेटफार्म नहीं मिल पाता है और न ही उनकी साहित्यिक प्रतिभा का समुचित दोहन ही हो पाता है। दुर्योग से मोहम्मद अरशद ख़ान इसी श्रेणी रचनाकार हैं। 

बात चाहे कविताओं की हो या फिर कहानियों की, अरशद ख़ान वे रचनाकार हैं, जिन्होंने पूरी शिद्दत से भारतीय जनमानस के बदलते हुए परिवेश को अपनी रचनाओं में उतारा है। जहाँ तमाम रचनाकार आज भी ‘हमको प्यारा लगता गाँव’ की धुन पर नाच रहे हैं, वहीं अरशद ख़ान ने धारा के विपरीत जाते हुए साहस के साथ कहा- ‘‘सूना-सूना-सा लगता है, अब नानी का गाँव।’’ 

वे इस बात को कहकर कोई शिगूफा नहीं छोड़ते हैं। नानी का गाँव उन्हें सूना-सूना क्यों लगता है, उनके पास इसके जायज़ कारण भी हैं। उन कारणों को गिनाते हुए वे लिखते हैं- 
‘‘दूर-दूर तक हरा-भरा जो, फैला था मैदान, 
बनवा ली हैं लाला जी ने, वहाँ कई दूकान। 
बनकर ठूँठ खड़ा है पीपल, जो देता था छाँव।’’ 

इन पंक्तियों को यदि गहराई के साथ देखें, तो आज के गाँव की बदली हुई तस्वीर सामने आ जाती है। जो हरा-भरा मैदान कभी बच्चों के खेलने के काम आता था, उस पर लाला जी ने जबरन क़ब्ज़ा करके दूकानें खड़ी कर दी हैं। ज़ाहिर-सी बात है कि ये क़ब्ज़ा यूँ ही नहीं हो गया होगा। इसके पीछे भी एक कहानी रही होगी, जिसमें विरोध, गाली-गलौज, पुलिस-थाना सब कुछ शामिल रहा होगा। यह स्थिति बदले हुए समाज ही नहीं, आदमी की बदली हुई सोच को भी उद्घाटित करती है। 

गाँवों में भी हमारी संस्कृति का क्षरण किस तरह हो रहा है और स्वार्थ किस तरह मनुष्यता पर हावी हो गया है, उपरोक्त पंक्तियाँ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। यही कारण है कि गाँवों में जो पीपल भगवान की तरह पूजा जाता था, लोगों ने उसकी डालें तक काट डाली हैं। आज की तारीख़ में वह ठूँठ भर बचा है। और जब गाँव के पूज्य पीपल का यह हाल है, तो बाक़ी पेड़ों की दशा क्या होगी, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। फिर कैसी पुरवाई, कैसी अमराई? ऐसे में गाँव का सूना-सूना लगना लाज़िमी है। 

श्रेष्ठ साहित्य जहाँ एक ओर समाज के दर्पण की भाँति काम करता है, वहीं मानवीय संवेदनाओं को बचाए रखने, उन्हें अभिसिंचित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालाँकि एक लेखक की क़लम में यह तेवर अनुभव के तवे पर ख़ूब तपने के बाद ही दृष्टिगोचर होते हैं, पर अरशद ख़ान ने बहुत अल्प काल में वह परिपक्वता हासिल कर ली है। यह गांभीर्य उनकी तमाम कहानियों में देखा जा सकता है। 

अरशद ख़ान ने बाल मनोविज्ञान के स्तर पर अनेकानेक प्रयोग किए हैं। ये प्रयोग बाल मन की परतों को बड़े सहज रूप में पाठकों के समक्ष रखते हैं और एक नई दुनिया का दीदार कराते हैं। ‘किराए का मकान’एक ऐसा ही प्रयास है। मानवीय संवेदनाओं और बाल मनोविज्ञान के सम्मिलन से निर्मित यह एक उत्कृष्ट रचना है। एक अनुभवजन्य सोच किसी साधारण से विषय को भी किस प्रकार उरूज पर ले जाती है, यह इस कहानी को पढ़कर जाना जा सकता है। 

बच्चे वास्तव में क्या हैं, यह आज तक कोई भी पूरी तरह नहीं समझ सका है। उनकी अपनी अलग एक दुनिया है, अपनी समझ है और अपनी सोच है। यह सोच कब किस ओर मुड़ जाए, कौन-सा रूप अख़्तियार कर ले, यह तय रूप में नहीं कहा जा सकता है। पर इतना तो कहा ही जा सकता है कि जब वे हवा को पकड़ने को लालायित होते हैं, तो ‘हवा का रंग’दिखता है, जब वे छोटी-सी समझ के द्वारा बड़ा काम करने का बीड़ा उठाते हैं, तो ‘भूल गई शन्नो’का प्रश्न उठता है और जब वे अपने नाम की गहराई में उतर जाते हैं, तो ‘मेरा नाम अब्दुल’का सृजन होता है। 

बच्चे समझदार होते हैं, बच्चे बुद्धिमान होते हैं, बच्चे आज्ञाकारी भी होते हैं, पर वे धैर्य के मासमले में हमेशा पीछे रह जाते हैं। चाहे कहीं जाने की बात हो या फिर कुछ खाने की, उनसे धीरज नहीं धरा जाता। सब कुछ उन्हें फटाफट चाहिए होता है। लेकिन जब न चाहते हुए भी उन्हें किसी चीज़ का इंतज़ार करना पड़ जाए, तो उनके दिल का क्या आलम होगा? वह प्रतीक्षा उसके अम्मा-बापू की हो तब? पर प्रतीक्षा तो प्रतीक्षा ही होती है, वह तो करनी ही पड़ती है। लेकिन वह किसी बच्चे पर कितना भारी पड़ती है, ‘प्रतीक्षा’ में इसकी झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। 

यह अधीरता ही है जो पाठक को कहानी के साथ बाँधे रखती है। ‘आगे क्या होगा’ की जिज्ञासा जितनी प्रबल होती है, कहानी की सफलता की संभावना उतनी ही अधिक होती है, बशर्ते कि वह आगे चलकर फुस्स न हो जाए। फैंटेसी का टच देती कहानी ‘सच होते-होते’और बाल कल्पना की ज़बरदस्त उड़ान ‘नाना का घर’इसके सफल उदाहरण हैं। 

‘सच होते-होते’एक हास्य कहानी है, जो छोटे-से वहम के कारण बिन बुलाए बादलों की तरह हास्य रस बरसाती है। कहानी की बुनावट ऐसी है कि उसके ख़त्म होने पर ख़ुद-ब-ख़ुद एक छोटी-सी मुस्कान होठों पर तैर जाती है। जबकि ‘नाना का घर’एक बच्चे की कल्पना की बेतरतीब उड़ान से सजाई गई है, जिसका आनंद तभी आ सकता है, जब पाठक स्वयं बच्चा बन जसए। 

सामान्यतः यह देखा जाता है कि जो रचनाएँ किसी विचार को केंद्र में रखकर रची जाती हैं, उनका कलापक्ष उतना सशक्त नहीं होता, जितना कि अन्य स्वतः स्फूर्त कहानियों का। लेकिन अरशद ख़ान इसके अपवाद के रूप में सामने आते हैं। जब भी कोई पाठक ‘लौट आया गिरधर’, ‘और वह गूँगा हो गया’, ‘हज़ार हाथोंवाला’, ‘ईंटों का जंगल’, ‘जंग जारी है’, ‘बवंडर’ और ‘पानी-पानी रे’ से होकर गुज़रता है, एक आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता उसकी प्रतीक्षा में रत मिलती है। यह एक विलक्षण संयोग है, जो कम घटित होता है। इसलिए इसकी जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है। 

मानवीय संबंधों के बीच की ऊष्णता को पहचानना और उसे बचाए रखना साहित्य का एक घोषित लक्ष्य है। हालाँकि बदलते वक़्त की मार अगर किसी चीज़ पर सबसे ज़्यादा पड़ी है, तो वे मानवीय संबंध ही हैं। काल का प्रभाव आज कुछ ऐसा है कि व्यक्ति अपने क्षुद्र से क्षुद्र स्वार्थ के लिए भी रिश्तों का गला घोटने में संकोच नहीं करता है। लेकिन इस कठिन समय में भी ऐसे लोग हैं जो न सिर्फ पूरी शिद्दत के साथ इन संबंधों के साथ जी रहे हैं, बल्कि उसके लिए अपनी जान की बाज़ी लगा देने में भी नहीं हिचकते। इसी जोश, इसी अपनत्व से सराबोर है, ‘लौट आया गिरधर’, जिसमें मानवीय संबंधों की ऊष्णता, साहस और और रोमांच के दर्शन एक साथ होते हैं। 

अरशद ख़ान उन रचनाकारों में हैं, जो ज़मीर से जुड़े हुए मुद्दों की बात करते हैं। वे सामाजिक स्थितियों पर पैनी नज़र रखते हैं, विद्रूपताओं पर प्रहार करते हैं, पर दुर्बल के पेट की आग की तपिश के आगे बेबस हो जाते हैं और वह सब कर जाते हैं, जो उनकी सोच के खिलाफ़ है। ‘और वह गूँगा हो गया’एक ऐसे मदारी की कहानी है, जो जादू दिखाकर अपने परिवार को जिलाता है। कहानी का पात्र ऐसे ढोंगियों से बहुत नफ़रत करता है। वह मदारी के जादू की पोल खोलने की ग़रज़ से उसे चुनौती देता है। लेकिन जब मदारी की आँखों में उपजे याचना के भावों को पढ़ता है तो, अपनी हार क़ुबूल कर लेता है। इस हार में भी जीत का एहसास है, जो पाठक को अंदर तक भिगो जाती है। निस्संदेह हिंदी में ऐसी कहानियाँ कम देखने को मिलती हैं। 

समय के साथ चलना और उसके परिवर्तनों को अपनी पारखी दृष्टि से परखते रहना एक चुनौतीपूर्ण और अपरिहार्य लेखकीय दायित्व है। अरशद ख़ान इस दायित्व से भली-भाँति परिचित रहनेवाले रचनाकार हैं। वे जब समाज में फैलती उपभोक्तावादी संस्कृति और सुविधाभोगी हाने की ललक को देखते हैं, तो स्वाभाविक रूप से चिंतित हो बैठते हैं और इस दुष्चक्र से समाज को आगाह करने के लिए क़लम का सहारा लेते हैं। ‘ईंटों का जंगल’उनकी इसी सजगता का प्रमाण है। 

परिवर्तन कोई भी हो, वह बेवजह नहीं होता। उसके पीछे कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारक छिपे होते हैं, जिनकी मनुष्य उपेक्षा करता चलता है। और जब ये कारक अपनी हद पार कर जाते हैं, तो उसके बाद तूफ़ान का आना लाज़मी हो जाता है। ये तूफ़ान मानवीय और प्राकृतिक दोनों तरह का हो सकता है। लेकिन इसका परिणाम है सिर्फ और सिर्फ बरबादी। अरशद ख़ान ने इस बरबादी का प्रभावपूर्ण आकलन ‘जंग जारी है’ और ‘बवंडर’ के माध्यम से प्रस्तुत किया है। वे तूफ़ान की स्थितियों का बयान तो करते ही हैं, उसके गुज़रने के बाद फिर से पुनर्निमाणा की प्रेरणा भी देते हैं। यही इन रचनाओं की सार्थकता है और यही इनका मकसद। 

अरशद ख़ान उन रचनाकारों में हैं, जिनकी रचनाओं में धरती की सोंधी महक रची-बसी हुई है। वे इस धरती को माँ की तरह प्यार करते हैं। यही कारण है कि उस पर आनेवाली विपदाएँ-समस्याएँ गाहे-बगाहे उनकी रचनाओं का विषय बनती रहती हैं। यदि इस सदी की सबसे बड़ी समस्या का आकलन किया जाए, तो निस्संदेह इस खोज का ताज ‘पानी’ के सिर ही रखा जाएगा। धरती से वृक्षों का सफाया और ‘ग्रीन हाउस’ प्रभाव के कारण जिस तरह से सम्पूर्ण धरती से जल-स्रोत विलुप्त होते जा रहे हैं, उससे लगता है कि आनेवाले दिनों में पानी सम्पूर्ण विश्व की ज्वलंत समस्या बनने जा रहा है। एक ज़िम्मेदार लेखक होने के नाते अरशद ख़ान उस संभावित ख़तरे से पूरी तरह बाख़बर हैं। और इसी ख़बरदार रहने की प्रवृत्ति का सुफल है ‘पानी-पानी रे’। अपनी कलात्मकता और तारतम्य के कारण यह एक सार्थक रचना बन पड़ी है। ‘जल ही जीवन है’ वाली परिभाषा संभवतः ऐसी ही किसी कहानी को पढ़ने के बाद गढ़ी गई होगी। 

बड़े रचनाकार की सिर्फ़ यह पहचान नहीं होती कि वह महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी क़लम चलाए, बल्कि बड़ा रचनाकार वह होता है, जो अति सामान्य विषय का भी स्पर्श करे, तो वह महत्वपूर्ण बन जाए। अरशद ख़ान एक ऐसे ही रचनाकार हैं। एक ओर वे बाल मनोविज्ञान के उत्स पर होते हैं, दूसरी ओर जंग और पानी जैसे गंभीर मसलों के साथ पूरी प्रतिबद्धता से खड़े नज़र आते हैं। लेकिन इन सबके बीच सामाजिक जकड़न उनके मस्तिष्क में बराबर कौंधती रहती है। इसलिए वे क़स्बाई समाज के बेहद जाने-पहचाने चरित्रों की बात करते हैं। ये किरदार जब उनकी लेखनी का स्पर्श पाते हैं, तो वे ‘सुल्तान’के रूप में हमारे सामने आते हैं और जब ऐसे कई चरित्र एक साथ जमा हो जाते हैं, तो ‘जन्नत’का निर्माण होता है। 

‘सुल्तान’और ‘जन्नत’दो ऐसी कहानियाँ हैं, जो अरशद ख़ान के लेखन की गहराई और सामाजिक समझ को बहुत अच्छे ढंग से बयां करती हैं। निःसंदेह इन दोनों कसौटियों पर वे खरे उतरते हैं। अंत में दो महत्वपूर्ण और ख़ूबसूरत कहानियों की चर्चा। ये कहानियाँ हमारे समाज का आईना हैं। हमारे समाज की संरचना कैसी है, क्या वह समय के साथ बदल रहा है? और अगर वह बदल रहा है, तो कितना? यह जानने के लिए ‘गुल्लक’और ‘धुँधला आसमान’को पढ़ना ज़रूरी है। 

दोनों ही कहानियों में मुख्य पात्र लड़कियाँ हैं, जिन्होंने हाल ही में किशोरावस्था की दहलीज पर क़दम रखा है। इनमें से एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार से संबंध रखती है, तो दूसरी किसी निम्न हिंदू जाति से। एक लड़की किसी क़स्बे की रहनेवाली है तो दूसरी किसी बज्जर देहात की। दोनों में समानता यह है कि उनके परिवार की आर्थिक स्थितियाँ बेहद ख़राब हैं। बावजूद इसके दोनों लड़कियाँ सपने देखती हैं। फ़र्क़ सिर्फ इतना है कि एक लड़की पढ़-लिखकर अपना नाम कमाना चाहती है, तो अपने परिवार के लिए कुछ करना चाहती है। एक लड़की सीमित साधनों के बावजूद जी-तोड़ मेहनत करके इंटर की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करती है, तो दूसरी माँ-बाप की झिड़कियाँ सुनने के बाद भी खेतों में काम करती है और उससे मिलनेवाले पैसों से अपनी मन-मर्जी की चीज़ों के साथ-साथ बापू के लिए एक अच्छा-सा कुर्ता, माँ के लिए एक सुंदर-सी धोती लेना चाहती है। पर आश्चर्यजनक रूप से दोनों लड़कियों को जबरन उनके ससुराल भेज दिया जाता है। 

ये दोनों कहानियाँ हृदय को छूती ही नहीं अंदर तक बेध देती हैं। दोनों कहानियों के कथ्य एक हैं, पीड़ा एक है। ये कहानियाँ बताती हैं कि हर धर्म हर जाति में लड़कियों की स्थिति एक-सी है। ये कहानियाँ हमारे सामने बहुत सारे सवाल खड़े करती है। ये सवाल किसी व्यक्ति विशेष से ताल्लुक नहीं रखते, बल्कि संपूर्ण समाज को कटघरे में खड़ा करते हैं। लेखक ने ‘गुल्लक’के चरित्र निलमिया के बहाने जिन सवालों को उठाया है, वे हमारे समाज के ज्वलंत मुद्दे हैं, और गंभीर विमर्श की मांग करते हैं। इनसे जूझे बिना स्वस्थ समाज का निर्माण करना नामुमकिन है। 

बालकथा के सौंदर्यशास्त्र की दृष्टि से भी ‘गुल्लक’एक उत्कृष्ट रचना है। लेखक ने निलमिया का जो चरित्र गढ़ा है, वह अद्भुत है। भले ही निम्न श्रेणी के परिवार में जन्म के कारण उसका लालन-पालन ठीक ढंग से न हो पाया हो, भले ही उसने शिक्षा-दीक्षा का नाम तक न सुना हो, पर उसके बावजूद उसका व्यक्तित्व एक ग़ज़ब की आभा से सुशोभित है। उसके भीतर एक ऐसा चुंबकीय आकर्षण है, जो किसी भी पाठक को बाँध लेता है। 

हिंदी बाल कथा साहित्य में ज़मीन से जुड़े पात्र कम देखने को मिलते हैं। निस्संदेह अरशद ख़ान जैसे रचनाकार की क़लम से ही ऐसे प्रभावशाली चरित्र की सर्जना संभव थी। निलमिया के चरित्र और लेखकीय प्रतिभा दोनों को एक साथ समझने में यह पैरा काफी मदद करता है- ‘‘लात-मुक्के खाकर भी निलमिया के मुँह से उफ तक न निकली। उसका शरीर ज़रूर पीड़ित था, पर मन हिलोरें ले रहा था। उसका मन टपकते छप्पर, सीलन भरी दीवारों और किचकिच हो गई ज़मीनवाले घर से दूर किसी सुख के संसार में टहल रहा था। उसे पीटकर माँ-बापू भले ही आत्मग्लानि में बैठे थे, पर वह बिल्कुल भी उदास न थी। उसके मन में लाल रंगवाली सैंडिल, फूलोंवाली हरी ओढ़नी, नाखून रँगनेवाली पालिश और रामभरोसे की चाट के दोने घूम रहे थे। उसे लग रहा था अब उसका क़द बढ़ता जा रहा है और वह बढ़कर पारिजात के उस फूल को छू लेनेवाली है, जिसे देखने मात्र से मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं।’’ (गुल्लक) 

अरशद ख़ान उन रचनाकारों में से एक हैं, जो सामाजिक जुड़ाव के साथ बाल मन की गहराइयों के कुशल पारखी हैं। वे अपनी रचनाओं में बाल मनोविज्ञान की अतल गहराइयों से ऐसे-ऐसे मनके चुनकर लाते हैं कि पढ़नेवाला चमत्कृत हुए बिना नहीं रह पाता। ऐसे ही दो उदाहरण दृष्टव्य हैं- 

‘‘सूरज सिर पर आ गया था। पेड़ों से छन-छनकर चितकबरी धूप ज़मीन पर आलेखन सजा रही थी। मिूट्टी का घरौंदा चमक उठा था। काँच की हर गोलियों पर जैसे सूरज आ बैठा था। मेरे हृदय में टीस-सी उठी। मैं सोचने लगा, ‘कल मैं भी इस मकान को छोड़कर कहीं दूर चला जाऊँगा। फिर कोई नया किराएदार आएगा। शायद सौरभ जैसा भोला-भाला, स्नेहा जैसी मासूम बच्ची या फिर मेरे जैसा ही कोई। यहाँ की दीवारें, यहाँ के पेड़, यहाँ के महकते फूल, शायद हमारी याद दिला सकें।’’ (किराए का मकान

‘‘अब्दुल अपना शरीर झाड़कर उठ खड़ा हुआ और चौकन्नी निगाहों से इधर-उधर देखने लगा। तभी हवा सरसराती हुई उसके कानों के पास से गुज़री। उसके बालों में फँसे दो-एक पत्ते लहराकर दूर जा गिरे। अचानक हवा उसकी कमीज़ में घुस गई। कमीज़ एक पल को फूलकर गुब्बारा हो गई। अब्दुल को लगा अब हवा पकड़ में आ गई। पर अगले ही पल हवा कमीज़ से निकल भागी और कमीज़ फिर से फुस्स हो गई।’’ (हवा का रंग

कल्पना का धनी होना अच्छी बात है, बालमन की समझ लेखकीय आवश्यकता है, भाषा पर पकड़ होना रचनाकार की ज़रूरत है और सामाजिक उत्तरदायित्वों की समझ होना आवश्यक बात है। और इन सबको एक में गूँथकर एक परिपक्व रचना तैयार करना क़ाबिले तारीफ बात है। ऐसे रचनाकार कम होते हैं अरशद ख़ान संयोग से ऐसे ही रचनाकार हैं। 

वे उम्र से भले ही युवा हों, पर अपने कर्म से बड़े रचनाकार हैं। एक तरह से कहा जाए तो वे नई पीढ़ी के सजग प्रहरी के समान है। जिसे बाल साहित्य की ध्वजा लेकर आगे-आगे चलना है। अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं उनकी कहानी 'बवंडर'की अंतिम पंक्तियाँ सामने रखना चाहूँगा जो निम्नवत हैं- ‘‘सब अपनी-अपनी राय रख रहे थे, पर सकनू दादा ख़ामोश थे। उनकी आँखें लगभग ढह चुके अपने घर पर जमी थीं। थोड़ी देर देखने के बाद वह लंबी साँस खींचकर बोले, ‘यह बवंडर नहीं था। हमारे साहस और धैर्य का परीक्षक था। हम इस परीक्षा में हारेंगे नहीं। हम फिर उठ खड़े होंगे। हम फिर घर बनाएँगे, उसे फिर से सजाएँगे।' यह कहकर उन्होंने हुक्के के अंगारों पर राख हटाई और दम भरा तो अंगारे लहक उठे और उसकी चमक से चेहरा दमक उठा।’’ 

मोहम्मद अरशद ख़ान बाल साहित्य जगत में इन्हीं लहकते हुए अंगारों के समान हैं। वे सिर्फ सामाजिक विसंगतियों पर वार ही नहीं करते आशा की नई किरण भी दिखाते हैं। उनकी क़लम का यह तेज अधिक से अधिक पाठकों के मन को आलोकित करे मेरी यही कामना है। 

पुस्तक: मोहम्मद अरशद खान की श्रेष्ठ बाल कथाएं
सम्पादक: डॉ. जाकिर अली रजनीश
संग्रहीत कहानियां:किराए का मकान, हवा का रंग, भूल गई शन्नो, मेरा नाम अब्दुल, प्रतीक्षा, सच होते-होते, नाना का घर जादू-मंतर, लौट आया गिरधर, और वह गूंगा हो गया, ईंटों का जंगल, हजार हाथों वाला, जंग जारी है, बवंडर, दादी की बीमारी, पानी-पानी रे, सुल्तान, जन्नत, धुंधला आसमान, गुल्लक
प्रकाशक: लहर प्रकाशन, 778, मुट्ठीगंज, इलाहाबाद
मूल्य: 250.00
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थैंक्यू रवीश जी।

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मैं रवीश कुमार की ही बात कर रहा हूं, एनडीटीवी के चर्चित पत्रकार रवीश कुमार। वैसे उन्हें कौन नहीं जानता। उन्होंने अपने कार्यक्रमों 'रवीश की रिपोर्ट', 'हम लोग'और 'प्राइम टाइम'के द्वारा लोगों के दिलों में जगह बनाई है। वे जिस गम्भीरता से विषयों को उठाते हैं, उनकी भूमिका बनाते हैं और अपनी बेबाक शैली में उसे प्रस्तुत करते हैं, उसकी वजह से दर्शक उनके मुरीद से हो जाते हैं। वे अपने संचालन में न तो अनर्गल प्रलाप करते हैं और न ही दूसरों को इसकी इजाजात देते हैं। वे अपनी निष्पक्षता के कारण सर्वत्र सराहे जाते हैं। पिछले दिनों केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा का हिन्दी सेवा के लिए दिया जाने वाला प्रतिषि्ठत 'गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार'भी उन्हें प्रदान किया गया है।

रवीश कुमार की एक अन्य पहचान यह है कि वे ब्लॉगर भी हैं और फरवरी 2007 से ब्लॉगर के रूप में सक्रिय हैं। हालांकि वे लिखने को'टीवी जर्नलिज्म की तुलना में कम गम्भीर मानते हैं, पर बावजूद इसके उनका ब्लॉग 'कस्बा'हिन्दी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले ब्लॉगोंमें शामिल है।

इसके अतिरिक्त रवीश कुमार की एक अन्य पहचान कॉलम राइटर के रूप में भी रही है। हिदी के ब्लॉगों की समीक्षा पर केंद्रित उनका कॉलम 'ब्लॉग वार्ता'काफी चर्चा में रहा है। दैनिक 'हिन्दुस्तान'समाचार पत्र में प्रत्येक बुधवार को प्रकाशित होने वाला यह कॉलम बेहद चर्चित रहा है और हिन्दी ब्लॉगिंग को प्रतिष्िठत कराने में उसका बहुत बड़ा योगदान रहा है। और इसमें कोई दोराय नहीं कि उनके कॉलम की लोकप्रियता से ही मुझे 'जनसंदेश टाइम्स'में 'ब्लॉगवाणी'कॉलम की प्रेरणा मिली।

मैंने रवीश जी को पहले पहल उनके कॉलम 'ब्लॉग वार्ता'के माध्यम से ही जाना। उसके बाद एनडीटीवी पर 'प्राइम टाइम'में जब उनको देखा, तो फिर वह मेरा प्रिय कार्यक्रम बन गया। हालांकि टीवी पर ज्यादा समय न दे पाने के कारण 'हम लोग'और 'रवीश की रिपोर्ट'को मुझे कम ही देखने का भी सौभाग्य मिला, पर जब भी अवसर हाथ आया, मैं उससे नहीं चूका।

रवीश कुमार से मेरा पहला इंटरैक्शन फोन के माध्यम से हुआ। यह उस समय की बात है, जब निर्मल बाबा का भंडाफोड़ हुआ था और वह चर्चा का बना हुआ था। उसी दौरान एक दिन मेरे पास फोन आया। वे उधर से बोले- 'रवीश बोल रहा हूं।'उस समय मैं किसी कार्य में उलझा हुआ था, इसलिए मैं समझ नहीं पाया। इसलिए मेरे 'जी कौन?'कहने पर उन्होंने जब पुन: 'मैं रवीश कुमार, एनडीटीवी से'कहा, तो मैं एकदम से रोमांचित हो उठा।

मैंने इस बात की कल्पना सपने में भी नहीं की थी। उन्होंने फोन पर बताया कि 'तस्लीम' (वर्तमान में 'साइंटिफिक वर्ल्ड') में अंधविश्वास को लेकर किये जा रहे कार्य को मैं देखता रहता हूं। फिर बातों ही बातों में उन्होंने बताया कि मैं निर्मल बाबा को लेकर एक रिपोर्ट पर कार्य कर रहा हूं। उसे किस एंगल से प्रस्तुत किया जाना बेहतर होगा, इसपर आपकी राय जानना चाहता हूं।

'तस्लीम'  ब्लॉग के बहाने रवीश जी की आई वल कॉल अब भी मेरे ज़हन में कैद है। वह उनसे मेरी पहली और अभी तक की आखिरी बातचीत थी। हालांकि कई बार उनकी रिपोर्ट देखकर और ब्लॉग पढकर उन्हें फोन करने की इच्छा हुई, पर यह सोच मैं ढ़ीला पड़ गया कि पता नहीं किस ज़रूरी काम में बिजी हों, मैं बिना वजह उनके काम में ख़लल डालूं।

'तस्लीम'रवीश जी का पसंदीदा ब्लॉग रहा है और उन्होंने इसे अपने ब्लॉग की 'लिंक रोड'में इसे जगह भी दी है (हालांकि वहां पर भी 'तस्लीम'का पुराना वेब पता और नाम ही दर्ज है, वह अपडेट नहीं हुआ है), जो मेरे लिए किसी सम्मान से कम नहीं है।

गत वर्ष बॉब्स पुरस्कारोंके नामांकनके दौरान जब हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगों के नामांकन में 'तस्लीम'और 'सर्प संसार'ब्लॉगों को दो श्रेणियों में जगह मिली, तो बॉब्स पुरस्कारों की जूरी में शामिल होने के कारण कुछ लोगों ने उन्हें अनावश्यक रूप से आलोचना का विषय बनाया। पर सुकून की बात यह रही कि दोनों ब्लॉगों को क्रमश: 'सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग-हिन्दी'एवं 'सबसे रचनात्मक ब्लॉग'श्रेणियों का यूजर श्रेणी का पुरस्कार मिला, जिससे उनकी पसंद को निर्णय पर थोपने के सम्बंधित आरोप स्वत: ही खारिज हो गये।
शंभूनाथ शुक्ल जी, ब्लॉगर मीट का सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए
इस वक्त रवीश जी को याद करने का विशेष कारण यह है कि पिछले दिनों 'ए बिलियन आइडिया'के तत्वाधान में 8 मार्च को लखनऊ के जेमिनी कांटिनेन्टल में 'एनुअल ब्लॉगर मीट'का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के संयोजक थे चर्चित पत्रकार और अमर उजालाएवं जनसत्तासहित कई समाचार पत्रों के सम्पादक रहे शंभूनाथ शुक्ल। शंभूनाथ शुक्ल जी घुमक्कड़ी के बेहद शौकीन हैं और देश-विदेश में यहां-वहां घूम-घूम कर लोगों से मिलते रहते हैं। अपनी इसी रूचि के क्रम में वे वर्तमान में कांग्रेस के बिहाफ पर सामाजिक मुद्दों पर ब्लॉगरों की राय जानने के लिए विभिन्न शहरों में ब्लॉगर मीट का आयोजन कर रहे हैं और उसमें वहां के ब्लॉगर्स और पत्रकारों से चर्चा कर रहे हैं।

शंभूनाथ जी से जब मुलाकात हुई, तो उन्होंने एक रोचक बात बताई। उन्होंने ब्लॉगर मीट के दौरान मेरा परिचय कराते हुए कहा कि ज़ाकिर अली रजनीश लखनऊ के चर्चित लेखक और ब्लॉगर हैं। लेकिन मैंने इन्हें रवीश कुमार के जरिए जाना है। उन्होंने कहा था आप अलग-अलग शहरों में ब्लॉगर मीट कर रहे हो, यह बहुत अच्छी बात है। लेकिन हो सके, तो इनमें दो ब्लॉगर्स को ज़रूर बुलाएं, एकजाकिर अली रजनीशऔर दूसरे नीरज जाट। क्योंकि सामाजिक जागरूकता के नजरिए से जाकिर ने ब्लॉग जगत में अच्छा काम किया है और घुमक्कड़ी के क्षेत्र में नीरज जाटने नए-नए कीर्तिमान बनाए हैं।

शंभूनाथ जी की बात सुनकर मेरा मन रवीश जी के प्रति श्रद्धा से भर उठा और उनतक अपने उद्गार पहुंचाना जरूरी लगने लगा (और यहव्यवहारिकता का तकाज़ाभी है)। पहले मैंने सोचा कि इस अपनत्व के लिए उन्हें फोन करके धन्यवाद दिया जाए। फिर संकोची भाव मुझ पर हावी हो गया और मैं सोचने लगा कि फोन करने उन्हें डिस्टर्ब करने से अच्छा है, एक धन्यवाद की पोस्ट ही लिख दी जाए।

सो इसलिए, शुक्रिया रवीश जी। आपके इस अपनत्व एवं प्रेम के लिए मैं आपका हृदय से आभारी हूं। आपका यह स्नेह निश्चय ही मुझे अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।
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हैप्पी होली, वाया कल्पतरू एक्सप्रेस!

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रंग-बिरंगा साइबर संसार

फाल्गुन के आगमन का संकेत कंपकपाती ठंड से बिदाई की निशानी है। फाल्गुन मास का प्रारम्भ एक ओर जहां नई फसलों की सौगात लाता है, वहीं बसंत अपने साथ लाने वाले फूलों से प्रकृति को नई नवेली दुल्हन की तरह सजा देता है। और पता ही नहीं चलता कि कब प्रकृति के इस रंग-बिरंगे स्वरूप में चुपके से होली का आगमन हो जाता है।

होली रंगों का त्यौहार है, जिसमें हर कोई अपने चारों ओर पसरी हुई दुश्‍िचंताओं और समस्याओं को भूलकर जिंदगी को रंगों से सराबोर कर लेना चाहता है। यह आनंद और मस्ती का भी त्यौहार है, तभी तो कोई भंग के तरंग में लहराता नजर आता है, तो कोई ढोल मजीरे की थाप पर अबीर गुलाल उड़ाता हुआ मिल जाता है।

होली की यह मस्ती अगर कहीं पूरे सुरूर में नजर आती है, तो वह है सायबर संसार। यही कारण है कि जैसे ही फाल्गुन का आगमन होता है, हर युवक स्वयं को किशन कन्हैया और हर युवती स्वयं को गोपी के अवतार में मान कर अपनी शब्द रूपी पिचकारियों की फुहार से हर किसी को अपने रंग में रंगने के लिए लालायित हो उठता है।

भले ही आज हर कोई मंहगाई की मार से डरा-सहमा हुआ हो, पर सायबर संसार का एक लाभ यह भी है कि यहां उसका वह डर उड़नछू हो जाता है। लेकिन बावजूद इसके इस बार सायबर जगत के रंग काफी फीके नजर आ रहे हैं। इस बार की होली में चुनाव की वक्रदृषि्ट ऐसी पड़ी है, कि यहां होली की ठिठोली कम और राजनैतिक पिचाकारियां ज्यादा चलती नजर आ रही हैं। कोई किसी की लहर पर सवार अपने विरोधि‍यों का मुंह काला करने की फिराक में नजर आ रहा है, तो कोई अपोजिट पार्टी के नेताओं पर अपशब्दों का कीचड़ बरसा रहा है। कहीं-कहीं इस मौसमी हुड़दंग में कुछ ऐसा समां बंध जाता है कि हर कोई भंग की तरंग में अपना आपा खोता हुआ नजर आता है।

इंटरनेट के प्रसार ने जहां आम आदमी के हाथ में अभिव्यक्ति का ब्रह्मास्त्र जा पहुंचा है वहीं झूठ को सच की तरह प्रचारित करने और मर्यादाओं को ध्वस्त करने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है। चाहे वह ब्लॉग की दुनिया हो, या फिर सोशल नेटवर्किंग साइट्स, आजादी का यह भौंडा रूप सभी जगह नजर आता है। और दुर्भाग्य की बात है कि होलिका जैसा त्यौहार भी इससे बच नहीं पाता है।

लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी है। यह पहलू, हमें एक सकारात्मक दुनिया में ले जाता है और अपने ही नहीं बेगाने से भी तमीज से पेश आने का हुनर सिखाता है। और यह इसी हुनर का कमाल है कि यहां बात चाहे कुर्ता-पायजामा की ही क्यों न हो, व्यक्ति दार्शनिक हो जाता है- ‘और जरा ध्यान से देखें तो.... पता चलेगा कि होली से एक दिन पहले सबसे पुरानी शर्ट/टी-शर्ट या कुर्ता-पायजमा को घर में बड़ी इज्ज़त के साथ देखा जाता है।’

इंटरनेट को अगर ज्ञान का महासागर माना जाए, तो कहा जा सकता है कि यहां पर हर विषय, हर संदर्भ आसानी से सुलभ हो जाता है। यही कारण है कि जब होलिका का इतिहास खंगालते हैं, तो हमें पता चलता है कि ‘होली मुख्य रूप से एक ‘कृषि यज्ञ’ है, जिसमें गेहूं की फसल के पकने पर उसे गाय के गोबर से बने कंडे पर भूनकर प्रसाद के रूप में बांटे जाने का उल्लेख वेदों में मिलता है। ‘यज्ञ’ से जुड़ाव होने के कारण ही होली में आम की सूखी लकड़ी डाले जाने का वर्णन मिलता है। वैदिक काल से चली आ रही इस परम्पोरा में बाद में प्रह्लाद और होलिका जैसी ‘घटनाओं’ के जुड़ने से इसमें गर्मी के मौसम की शुरूआत में घर की साफ-सफाई के दौरान निकले कबाड़ आदि को भी होलिका के रूप में जलाने का चलन बढ़ता गया।’(साइंटिफिक वर्ल्ड)

वैसे इसमें कोई दो-राय नहीं कि सायबर संसार के युग में लोगों के बीच बातचीत बढ़ गयी है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उनके बीच ‘संवाद’ घटा है। यहां हर कोई या तो सूक्तियों का अमृत बांटता परम ज्ञानी है या फिर आला दर्जे का दार्शनिक कवि। एक ओर जहां यहां पर चर्चित कवि और लेखक अपना झंडा उठाए हुए नज़र आते हैं, वहीं दूसरी ओर नवोदित और कम परिचित रचनाकार भी हैं, जो बेहद गम्भीरता के साथ अपनी बात रख रहे हैं- ‘ये कैसी होली है/ न प्यार के रंग न हंसी ठिठोली है/ होली के रंगों में घुलता जा रहा नफरत का जहर/ कोई खेल रहा खून का होली/ कोई होलिका के लिए जला रहा अपना ही घर/ बड़े बदरंग, नीरस से हो गये हैं रंग/ अब होली पर नहीं मिटता द्वेष/ पुते हुए चेहरे पर चढ़ता नहीं कोई रंग/ बड़ी फीकी सी, खामोश, बेज़ार है होली..(प्रियम्वदा रस्तोगी)

इसमें कोई दो-राय नहीं कि सायबर संसार बे-रोकटोक विचरण का अनंत स्पेस उपलब्ध कराता है। यही कारण है कि जहां एक ओर जहां गम्भीर समकालीन विमर्श देखने को मिलते हैं, वहीं अभद्रता की हद को छूते हुए बेहद हल्के विचार भी देखे जा सकते हैं- ‘हर साल तथाकथित ‪‎पर्यावरणविद‬ जैसे ही ‪होली‬ आती है ‪‎फटे‬ ‪‎बांस‬ की आवाज में पानी बचाओ का राग अलापते हैं। उनके इसी रोने धोने को देख कर ‪इंद्र‬ देव हर दूसरे दिन बरस रहे हैं। मित्रो जम के खेलिए होली।’ (जितेन्द्र कुमार)

लेकिन इसके साथ ही साथ यहां जिम्मेदार लोगों की भी कमी नहीं। ऐसे लोग अपने समाज को बेहतर बनाने और दुनिया वालों को सजग बनाने के लिए प्रयत्नशील नजर आते हैं- ‘होलिका दहन पर प्रत्येक होलिका में औसतन 100 किलो लकड़ी जलती है तथा औसतन दो पेड़ों का सफाया हो जाता है। हर साल होली में लगभग 50 लाख होलिकाएं जलती हैं, जिससे लगभग एक करोड़ पेड़ भस्मत हो जाते हैं। इसकी वजह से देश में प्रतिवर्ष लगभग 300 हेक्टेयर वन क्षेत्रफल का सफाया हो जाता है। होलिका जलने से प्रतिवर्ष देश में 25 हजार टन ग्रीन हाउस गैसों का इजाफा होता है।’ (साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन)

यही कारण है कि एक ओर जहां फिजां में ‘ईको फ्रैंडली होली’ के विचार तैर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ‘ड्राई होली’ के आइडिया भी लोगों को भा रहे हैं। और इसी के साथ ही साथ पानी बचाने के आह्वान भी देखे और सुने जा रहे हैं- ‘होली के इस अवसर पर, होली के दिन दिल पर पत्थर रखकर हमें दुःखी मन से पानी बचाने की अपील करनी पड़ रही है। पानी की कमी से रंगो की होली की जगह खून की होली होना आये दिन सुनने और पढ़ने को मिल रही है पिछले एक साल के अंदर मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में दर्जनों लोगों की मौत पानी के कारण हुए झगड़ों में हुई। …बेहिसाब पानी की बर्बादी प्रकृति के अमूल्य धरोहरों की बर्बादी हैं। सत्य यही है कि पंच तत्वों से बनी मानव जाति यदि पानी खो देगी तो अपना अस्तित्व भी खो देगी।’ (इंडिया वाटर पोर्टल)

वैसे ऐसा भी नहीं है कि सायबर स्पेस में सब कुछ धीर-गंभीर और रूखा-सूखा ही है। यहां जगह-जगह शब्दों की शान पर चढ़ कर अवतरित होती नेह में पगी कविताएं और हास्य/व्यंग्य में रंग में रंगी कार्टून और क्षणि‍काएं भी मिल जाती हैं।

लेकिन आप स्वाद के दीवाने हैं तो भी आप यहां बहुत कुछ पाएंगे। और अनुभूति-हिन्दी डॉट आर्गपर उपलब्ध होली के पकवान, मिठाइयां, नमकीन और चटनियों की रेसिपी देखकर मुंह में पानी आने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। यदि आप होली को यादगार बनाना चाहते हैं, तो इन्हें ज़रूर आजमाएं। और इसी के साथ स्वीकार करें, मेरी ये शुभकामनाएं- 'लाल रंग आपके गालों के लिए, काला रंग आपके बालों के लिए, नीला रंग आपकी आंखों के लिए, पीला रंग आपके हाथों के लिए, गुलाबी रंग आपके सपनों के लिए, सफेद रंग आपके मन के लिए, हरा रंग आपके जीवन के लिए। होली के ये सात रंग इंद्रधनुषी जीवन का आधार हैं। (कल्पतरू एक्सप्रेस, लखनऊ, 17 मार्च, 2014)
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(बिगुल स्मारिका का विमोचन)
सेना का जीवन किसी तपस्या से कम नहीं है। एक सच्चा सैनिक अपना घर-बार, परिवार और दोस्त-यारों से दूर रहकर जिस निष्ठा और समर्पण के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है, उसकी दूसरी मिसाल खोजने से भी नहीं मिलती। लेकिन इसके बावजूद उनके जीवन के बारे में, उनकी तकलीफों, झंझावातों और दुश्वारियों के बारे में बहुत कम लिखा-पढ़ा गया है। यही कारण है कि आज भी उनका जीवन किसी रहस्यमय गाथा से कम नहीं है।

सैन्य अफसर से मिला सम्मान
उपरोक्त बातें भारतीय वायुसेना स्टेशन, चकेरी, कानपुर, उत्तर प्रदेश के सारंग सभागार में दिनांक 28 मार्च, 2014 को आयोजित एक समारोह में वक्ताओं ने कहीं। वे बिगुल संस्था द्वारा सैन्य जीवन पर आधारित अखिल भारतीय (द्वितीय) कहानी प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह में बोल रहे थे। वक्ताओं में दैनिक जागरण के पुनर्नवा परिशिष्ट के सम्पादक राजेन्द्र राव, सुप्रसिद्ध लेखिका अल्पना मिश्रा एवं चकेरी वायुसेना स्टेशन चकेरी के कमांडिंग आफिसर एयर कमोडोर के0 आई0 रवि के नाम प्रमुख हैं।

इस अवसर पर 'गूंज'कहानी के लिए गौतम राजऋ‍षि, 'सैंडी और सेमल का वृक्ष'कहानी के लिए अमरीक सिंह दीप, 'युद्धरत'कहानी के लिए धनंजय कुमार सिंह, 'ड्यूटी'कहानी के लिए जाकिर अली रजनीश, 'आखि‍री आस'कहानी के लिए स्मृति शुक्ला, 'उस पार प्रिये तुम हो'कहानी के लिए संतोष श्रीवास्तव एवं ''देशभक्ति'कहानी के लिए देवेन्द्र कुमार मिश्रा को पुरस्कृत किया गया।

...और यह विदाई चित्र
ज्ञातव्य है कि बिगुल द्वारा आयोजित पहली बार सैन्य जीवन पर आधारित कहानी प्रतियोगिता का आयोजन वर्ष 1999 में किया गया था। उस प्रतियोगिता में पुरस्कृत कहानियों को 'सैनिक कहानियां'के नाम से प्रकाशित किया गया है। यह पुस्तक विकास पब्लिशिंग हाउस, 576, मस्जिद रोड, जंगपुरा, नई दिल्ली-110014 द्वारा प्रकाशित है, जिसमें मेरी कहानी 'प्रस्थान'भी सम्मिलित है।
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इससे बड़ा सम्‍मान और क्‍या होगा ?

अपना वोट किसे दें ?

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इस बार के लोकसभा के चुनावों बेहद रोमांचक हो उठे हैं। कारण प्रत्याशी अपने प्रचार में जिस तरह से अंधधुंध पैसा खर्च कर रहे हैं और जिस तरीके से प्रचार/दुष्प्रचार ने मर्यादाओं की सीमाएं तोड़ी हैं, उससे आम मतदाता, जो किसी पार्टी केे अंधभक्त नहीं है और जिसकी संख्या भी अच्छी खासी है, बेहद दु:खी है। यही कारण है कि वह स्वयं को बेहद उहापोह की स्थिति में पा रहा है। ऐसे में उसके सामने एक बड़ा सवाल यह भी है कि वह अपना वोट दे तो किसे दे?

मेरे विचार में यदि आप एक तटस्थ और निरपेक्ष मतदाता हैं, तो आपको वोट देने के लिए ऐसे प्रत्याशी का चयन करना चाहिए, जो ईमानदार व्यक्ति हो, जिसकी छवि दागदार न हो और जो जनता से सीधा जुड़ाव रखता हो।

ऐसे मतदाता को वोट देते समय प्रत्याशी की स्थानीयता को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। क्योंकि अक्सर पार्टियां सीट निकालने के चक्कर में ऐसे प्रत्याशी को खडा कर देती हैं, जो न तो उस क्षेत्र से सम्बंधि‍त होते हैं और न ही जिनको इस इलाके का कोई ज्ञान होता है। ऐसे नेता अगर पार्टी की नैया पर सवार होकर जीत भी जाते हैं, तो उनके दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं। ऐसे में वहां का मतदाता बुरी तरह से ठगा जाता है और इलाके का विकास भी सफेद हाथी बन कर रह जाता है।

आजकल पार्टियों के द्वारा ग्लैमर वर्ल्ड के प्रतिनिधि‍यों एवं चर्चित हस्तियों को टिकट देने का चलन  बढ़ा है। इसके पीछे उस व्यक्ति की लोकप्रियता को भुनाने का मकसद ही प्रमुख रहता है। लेकिन ऐसे प्रत्याशी भी जीतने के बाद नजर नहीं आते हैं और अपने इलाके को समय देने के बजाए अपने पुराने प्रोफेशन को ज्यादा वरीयता देते हैं। और सबसे दु:खद बात यह है कि ऐसे नेता अगला चुनाव लड़ने के लिए भी अपनी पुरानी सीट को तवज्जोह नहीं देते और किसी नए इलाके के लोगों को भरमाने के लिए किसी नई सीट की ओर छलांग लगा देते हैं।

अक्सर यह होता है कि हम पांच साल तो जनसम्याओं के लिए सरकार और जन प्रतिनिध‍ियो को दोष देते हैं, लेकिन चुनाव आने पर जाति और धर्म की गोद में जाकर बैठ जाते हैं। जबकि देखने में यह आता है कि जाति और धर्म के नाम पर जीतने वाले प्रत्याशी भी जीतने के बाद अपनी जाति/धर्म का भला करने के स्थान पर अपना पेट भरने में ही लगे रहते हैं। इसलिए जाति/धर्म के चक्कर में न आएं और उचित और योग्य उम्मीदवार को ही अपना वोट दें।

हो सकता है कुछ पार्टियां आपको देशहित, विकास, स्थ‍िरता के नाम पर आपको बर्गलाने का प्रयास करें, लेकिन आप इस बात का ध्यान रखें, कि विकास, स्थ‍िरता, देशहित आदि तमाम बातें ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तियों पर ही निर्भर करती हैं। जब आपके इलाके का सांसद ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और स्थानीय होगा, तभी वह आपके सुख-दु:ख में शामिल होगा, तभी वह आपकी समस्याओं के निवारण में रूचि लेगा, तभी वह आपके इलाके का विकास कराने हेतु तत्पर होगा और तभी वह देश को प्रगति के पथ पर ले जाने में सहायक होगा।

इसलिए मित्रों, नारों, पार्टियों के खोखले वादों और विकास के दावों पर न जाएं और वोट देने के लिए दिल से नहीं दिमाग से काम लें। तभी आप एक जिम्मेदार मतदाता का कर्तव्य निभा पाएंगे और तभी आप भ्रष्ट, स्वार्थी और धूर्त नेताओं को वास्तव में सबक सिखा पाएंगे।
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पाठक जुटाने और कमाई करने का सॉलिड तरीका।

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*'साइंटिफिक वर्ल्ड'ने बनाया 11 लाख 40 हजार पाठकों का रिकार्ड*
आपने बहुतों के मुंह से यह सुना होगा कि फेसबुक ने ब्लॉग जगत को लील लिया है, और आपने निश्चय ही यह भी सुना होगा कि हिन्दी ब्लॉगिंग से इनकम करना सम्भव नहीं है। पर मैं कहना चाहता हूं कि ये दोनों ही बातें पूरी तरह से सत्य नहीं हैं। यदि आप ब्लॉगिंग के प्रति गम्भीर हैं और पूरी निष्ठा से विषयगत ब्लॉगिंग करने की क्षमता रखते हैं, तो न सिर्फ पाठक आपको सर आंखों पर बिठाएंगे, वरन कमाई के रास्ते भी खुद चलकर आपके दरवाजे तक आएंगे।

*'साइंटिफिक वर्ल्ड'के विजिटर्स का लेखा-जोखा*
उदाहरण के लिए आप 'साइंटिफिक वर्ल्ड' (पूर्व में 'तस्लीम'नाम से प्रचलित) को ले सकते हैं। यह ब्लॉग वैज्ञानिक चेतना को समर्पित है और 28 फरवरी 2008 से नियमित रूप में प्रकाशि‍त हो रहा है। इस ब्लॉग पर दाईं ओर ऊपर की ओर लगा गूगल स्टैट काउंटरबता रहा है कि इसे दिनांक 25 मई, 2014 के दोपहर 12.00 बजे तक 11 लाख, 40 हजार 234लोग पढ़ चुके हैं (यह आंकणे वर्ष 2010 में गूगल स्टैट्स विजेट चालू होने के समय से हैं)। प्रतिदिन इसपर लगभग ढ़ाई हजार विजिटर अपनी आमद दर्ज कराते हैं और महीने में औसतन 72-73 हजार हिट इसे प्राप्त हो रहे हैं। (देखें चित्र नं. 02)

*'मेरी दुनिया मेरे सपने'के विजिटर्स का लेखा-जोखा*
आप पूछेंगे कि 'साइंटिफिक वर्ल्ड'की इस सफलता का क्या राज है, तो वह है सिर्फ और सिर्फ नियमित एवं विषयगत ब्लॉगिंग। यानी कि ऐसे उपयोगी विषय पर निरंतर लेखन, जिसपर इंटरनेट की दुनिया में ज्यादा सामग्री उपलब्ध न हो।

'साइंटिफिक वर्ल्ड'समूह प्रारम्भ से ही इस बात को समझता रहा है, इसीलिए वह अपने निम्नांकित प्रमुख ब्लॉगों को इसी पैटर्न पर लेकर चलता रहा है। यदि आप सफल ब्लॉगिंग के सूत्र को वास्तव में गहराई से समझना चाहते हों, तो हमारे इन सभी ब्लॉगों का गम्भीरतापूर्वक अध्ययन कर सकते हैं:
1.साइंटिफिक वर्ल्ड
2. साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
3. सर्प संसार
4. मेरी दुनिया मेरे सपने 
5. बाल-मन
6. हमराही
7. World of Fiction

इसके साथ ही साथ आपके ब्लॉग के अनुकूल डोमेन का चयन, स्तरीय सामग्री (कॉपी-पेस्ट नहीं) का प्रकाशन और उपयुक्त टेम्प्लेट के चुनाव जैसे कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु भी हैं, जो पाठकों को बांधने में सहायक होते हैं।

और अगर आप यह सब कर सकते हैं, तो कोई कारण नहीं पाठक आप तक न पहुंचे। आप दुनिया के किसी भी कोने में हों, वे आपको खोज लेंगे। और जब आपके पास पाठकों का बैक-अप होगा, तो विज्ञापनदाता स्वयं आपके पास खि‍चते चले आएंगे। क्या कहा कैसे? अरे भई नमूने (चित्र नं. 4 व 5) हाजिर तो हैं। क्या अब भी कोई प्रूफ चाहिए?
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सिर्फ एकाउंट बनाएं और 800 रू0 कमाएं।

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मित्रो, पिछली पोस्‍ट 'पाठक जुटाने और कमाई करने का सॉलिड तरीका'पढ़ने के बाद बहुत से पाठकों और मित्रों के फोन और ईमेल प्राप्‍त हुए, जिसमें उन्‍होंने कोई ऐसी वेबसाइट बताने का आग्रह किया है, जिसके द्वारा आसानी से विज्ञापन दिखाकर कमाई की जा सके। 

गूगल ऐडसेंस कमाई का बेहतरनी माध्‍यम: 
इसमें कोई दोराय नहीं कि ऑनलाइन माध्‍यम से कमाई करने के तरीकों में गूगल ऐडसेंस का जवाब नहीं। लेकिन इसके साथ दिक्‍कत यह है कि यह हिन्‍दी साइटों को एप्रूव्‍ड नहीं करता है। हालांकि कुछ लोगों ने अपनी अंग्रेजी वेबसाइट को अप्रूव कराकर उसके विज्ञापन हिन्‍दी वेबाइटों पर भी लगाए हैं, जिससे उनके द्वारा भी उन्‍हें अच्‍छी कमाई हो रही है। लेकिन यह एक बेहद गोपनिय ट्रिक है, जिससे हर कोई भिज्ञ नहीं है। इसलिए हिन्‍दी के ज्‍यादातर ब्‍लॉगर के लिए गूगल ऐड सेंस अभी भी आसमान के तारे तोड़ लाने के समान है। 

अन्‍य विज्ञापन कम्‍पनियों के द्वारा कमाई: 
हालांकि गूगल के तानाशाही रवैये का फायदा उठाते हुए आनलाइन विज्ञापन उपलब्‍ध कराकर ब्‍लॉगरों को कमाई कराने का दावा करने वाली अनेकानेक कम्‍पनियां मौजूद हैं और उसके द्वारा ब्‍लॉगर एवं वेबसाइट मालिक अच्‍छी कमाई कर रहे हैं, पर उनकी कमाई गूगल ऐड सेंस की तुलना में बेहद कम है। इस वजह से इन वेबसाइटों को ब्‍लॉगर तभी तक अपनाते हैं, जबतक उनका गूगल ऐडसेंस विज्ञापन एप्रूव्‍ड नहीं हो जाता। 

सीपीएम एफिलिएशन का धमाकेदार आगाज
लेकिन हाल ही में ऑनलाइन विज्ञापन के क्षेत्र में धमाकेदार ऑफर लेकर आने वाली Cpm Affilliationने ब्‍लॉगर के मन में एक जबरदस्‍त आशा का संचार किया है। जी हां, यह एक ऐसी कंपन है, जो आनलाइन विज्ञापन दिखाने के लिए जबरदस्‍त कमीशन दे रही है। यही नहीं इस कंपनी में एकाउंट बनाते ही, ब्‍लॉगर को सीधे-सीधे 10 यूरो (लगभग 800 रूपये) प्राप्‍त होते हैं। इसके अलावा यह कंपनी क्लिक के भी अच्‍छे पैसे दे रही है।

तो फिर सोच क्‍या रहे हैं मित्र ? अगर आप ब्‍लॉगर हैं और आपके ब्‍लॉग पर अच्‍छा ट्राफिक है, तो फटाफट यहां पर क्लिक करें और अपना एकाउंट बनाएं। और हां, जब आपको विज्ञापन का पहला चेक मिले, तो हमें धन्‍यवाद देना न भूलिएगा। 

अरे भई, एकाउंट बनाने की इतनी भी क्‍या जल्‍दबाजी, कम से कम इस जानकारी के लिए धन्‍यवाद स्‍वरूप एक कमेंट तो करते जाएं! :)
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